Edited By Ekta, Updated: 08 Nov, 2018 11:17 AM
जीने का जज्बा कोई इनसे सीखे, जो दिव्यांग होने के बावजूद न सिर्फ अपने पैरों पर खड़े हुए, बल्कि समाज में एक मुकाम भी हासिल किया। जी हां, हम बात कर रहे हैं नाहन के अमरपुर मोहल्ला के विवेक कुमार उर्फ विशु की, जो दीए बेचकर न सिर्फ अपने परिवार, बल्कि...
नाहन (सतीश): जीने का जज्बा कोई इनसे सीखे, जो दिव्यांग होने के बावजूद न सिर्फ अपने पैरों पर खड़े हुए, बल्कि समाज में एक मुकाम भी हासिल किया।
जी हां, हम बात कर रहे हैं नाहन के अमरपुर मोहल्ला के विवेक कुमार उर्फ विशु की, जो दीए बेचकर न सिर्फ अपने परिवार, बल्कि दूसरों के घरों को भी रोशन कर रहा है। वह पढ़ाई के साथ-साथ पूरे हौसले व विश्वास के साथ घर के सारे काम करता है।
विवेक के पिता अपने बेटे के आत्मविश्वास और मेहनत के कायल हैं। विवेक आजकल बड़ा चौक में दिवाली के लिए मिट्टी के दीए व अन्य सामान बनाकर बेच रहा है।
विशु का कद अढ़ाई फुट होने के बावजूद वह घबराता नहीं है। इस दिव्यांग का हौसला इतना बुलंद है कि अपने परिवार ही नहीं, बल्कि दूसरों को भी जीने की प्रेरणा दे रहा है।
माता-पिता को अपने बेटे की दिव्यांगता का दुख तो नहीं है, लेकिन उसके भविष्य की चिंता जरूर है। हालांकि, विवेक का बड़ा भाई व एक बहन पूरी तरह से सामान्य हैं। विवेक की कड़ी मेहनत, कर्तव्यनिष्ठा और आत्मविश्वास दूसरों के लिए किसी बड़ी मिसाल से कम नहीं है। वह अपना सारा काम खुद कर लेता है। कुल मिलाकर विवेक समाज के ऐसे लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है, जो अपनी दिव्यांगता के कारण अपनी जिंदगी को बोझ समझते हैं।