ट्रिब्यूनल का बड़ा फैसला, JOA के नियुक्ति पत्र जारी करने पर रोक

Edited By Vijay, Updated: 26 Feb, 2019 11:03 PM

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प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने जूनियर ऑफिस असिस्टैंट पोस्ट कोड-556 के सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करने पर रोक लगा दी है। ट्रिब्यूनल अध्यक्ष न्यायाधीश वी.के. शर्मा ने प्रार्थी सपना ठाकुर व अन्यों द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के पश्चात सरकार...

शिमला: प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने जूनियर ऑफिस असिस्टैंट पोस्ट कोड-556 के सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करने पर रोक लगा दी है। ट्रिब्यूनल अध्यक्ष न्यायाधीश वी.के. शर्मा ने प्रार्थी सपना ठाकुर व अन्यों द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के पश्चात सरकार को आदेश दिए कि वह जूनियर ऑफिस असिस्टैंट पोस्ट कोड-556 के मामले में नियुक्ति पत्र जारी करने पर यथास्थिति बरकरार रखें। ट्रिब्यूनल में इन मामलों पर अगली सुनवाई 7 मार्च को होगी।

आयोग ने अढ़ाई साल बाद घोषित किया परीक्षा परिणाम

उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग ने शनिवार 23 फरवरी को जूनियर ऑफिस असिस्टैंट पोस्ट कोड-556 का अंतिम परिणाम करीब अढ़ाई साल बाद घोषित किया था। आयोग ने 1156 पदों के लिए ली गई इस परीक्षा में 596 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया था, जबकि शेष अभ्यर्थियों को अयोग्य घोषित कर दिया गया। प्रार्थियों के अनुसार आयोग को जल्दबाजी में इस पोस्ट कोड के परिणाम घोषित नहीं करने चाहिए थे क्योंकि इस पोस्ट कोड के मामले अदालतों में लंबित हैं।

ट्रिब्यूनल ने आयोग व मुख्य सचिव को बनाया प्रतिवादी

ट्रिब्यूनल ने इन मामलों में मुख्य सचिव को प्रतिवादी बनाते हुए आयोग व मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है। हाईकोर्ट ने इन पदों को भरने के लिए जारी विज्ञापन के तहत दर्शाए गए भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के अनुरूप ही भरने को कहा था और ट्रिब्यूनल को इन मामलों का निपटारा मैरिट के आधार पर करने के आदेश पारित किए थे। इससे पहले कि इन मामलों पर मैरिट के आधार पर फैसला आता, कर्मचारी चयन आयोग ने इस भर्ती परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया।

न्यूनतम योग्यता की आड़ में अयोग्य घोषित करने का आरोप

प्रार्थियों का आरोप है कि आयोग ने परिणाम बनाते समय न्यूनतम योग्यता की आड़ में कम्प्यूटर शिक्षा में उच्च डिग्रियां व डिप्लोमा प्राप्त अभ्यर्थियों को अयोग्य घोषित कर दिया। आयोग ने विभिन्न संस्थाओं से मान्यता प्राप्त डिग्री व डिप्लोमा धारकों को भी बिना कारण अयोग्य घोषित कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप लिखित व टाइपिंग परीक्षा में उनसे कम अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया। ट्रिब्यूनल में पहले से लंबित याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि जूनियर ऑफिस असिस्टैंट के पदों को भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के विपरीत भरा जा रहा है। प्रार्थियों के अनुसार आयोग के सचिव ने अदालत की अवमानना भी की है अत: उनके खिलाफ अवमानना का मामला भी दायर किया जाएगा। ट्रिब्यूनल में इन मामलों पर फैसला 7 मार्च को होगा।

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