पेड़ कटान पर प्रतिबंध का मामला: SC में मजबूती से पक्ष रखेगा हिमाचल

Edited By Ekta, Updated: 21 Mar, 2019 09:41 AM

tree trimming on restrictions case

वन भूमि से पेड़ कटान पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के मामले में प्रदेश सरकार मजबूती के साथ अपना पक्ष रखेगी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में बुधवार को सी.एम. आवास में आयोजित बैठक में राज्य सरकार ने अपना जवाब तैयार कर लिया है। इसे...

शिमला (हेटा): वन भूमि से पेड़ कटान पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के मामले में प्रदेश सरकार मजबूती के साथ अपना पक्ष रखेगी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में बुधवार को सी.एम. आवास में आयोजित बैठक में राज्य सरकार ने अपना जवाब तैयार कर लिया है। इसे जल्द ही सुप्रीम कोर्ट को सौंपा जाएगा। सूत्रों की मानें तो देश की शीर्ष अदालत को बताया जाएगा कि यदि वन भूमि परपेड़ कटान पर रोक लगाई जाती है तो प्रदेश में इससे सभी विकास कार्य ठप्प पड़ जाएंगे। यहां तक हिमाचल में शौचालय भी नहीं बनाए जा सकेंगे। इसका बड़ा कारण 67 फीसदी से ज्यादा भूमि पर पेड़ होना है। शेष बची 33 फीसदी जमीन में से भी ज्यादातर जमीन फोरैस्ट लैंड है। राज्य में शामलात जमीन नाममात्र है। 

इस पर किसान खेतीबाड़ी और आम लोग अपना आवास बनाते हैं, ऐसे में वनभूमि पर पेड़ कटान पर प्रतिबंध से प्रदेश में सड़क, बिजली, पानी, अस्पताल, रेलवे, स्कूल व अन्य सार्वजनिक विभागों के सभी प्रोजैक्ट ठंडे बस्ते में चले जाएंगे। राज्य में इस वक्त 200 से ज्यादा प्रोजैक्ट केंद्रीय वन विभाग की अनुमति न मिलने के कारण लटके हुए हैं। कुछेक बार तो परमिशन न मिलने के कारण पी.एम.जी.एस.वाई. व नाबार्ड या अन्य परियोजनाओं के तहत स्वीकृत प्रोजैक्ट रिजैक्ट भी हुए हैं। प्रदेश में सार्वजनिक क्षेत्र में किए जाने वाले इन विकास कार्यों के लिए खाली भूमि मिलना मुश्किल है। इसे देखते हुए सरकार सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताएगी कि प्रदेश में एफ.सी.ए. व एफ.आर.ए. जैसी औपचारिकताएं पूर्ण करने के बाद ही पेड़ काटे गए हैं। यही नहीं राज्य सरकार और वन विभाग के प्रयोगों से प्रदेश के हरित आवरण में बढ़ौतरी भी दर्ज की गई है।

सुप्रीम कोर्ट में एक अप्रैल को होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने बीते 14 मार्च को हिमाचल की वन भूमि पर गैर-वानिकी उद्देश्य के लिए जमीन तबदील करने पर रोक लगाई है। मामले की अगली सुनवाई एक अप्रैल को होनी है। तब तक राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना जवाब देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट ने उन परियोजनाओं पर भी रोक लगाई है जिन्हें एफ.सी.ए. के तहत मंजूरी दे दी गई है, लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हुआ।

उद्योग व पर्यटन अधिकारियों की भी ली बैठक

सरकारी आवास ओक ओवर में मुख्यमंत्री ने वन, उद्योग और पर्यटन विभाग के अधिकारियों से भी चर्चा की और विभिन्न परियोजनाओं की फीड-बैक ली। बैठक के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पार्टी दफ्तर दीपकमल गए और उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ चुनाव को लेकर चर्चा की।

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