परिवहन मंत्री ने सोशल मीडिया पर बयां किया HRTC का दर्द, जानने के लिए पढ़ें खबर

Edited By Vijay, Updated: 02 Sep, 2018 09:38 PM

transport minister show pain of hrtc on social media

एच.आर.टी.सी. में पूर्व सरकार के समय की गई ताबड़तोड़ बसों की खरीद के लिए 255 करोड़ रुपए का लोन लेने से अब निगम को इसकी मार झेलनी पड़ रही है। हालात ये हैं कि इस लोन को चुकाने के लिए प्रिंसीपल इंट्रस्ट के रूप में निगम को 3910.26 लाख रुपए चुकाने पड़ रहे...

शिमला: एच.आर.टी.सी. में पूर्व सरकार के समय की गई ताबड़तोड़ बसों की खरीद के लिए 255 करोड़ रुपए का लोन लेने से अब निगम को इसकी मार झेलनी पड़ रही है। हालात ये हैं कि इस लोन को चुकाने के लिए प्रिंसीपल इंट्रस्ट के रूप में निगम को 3910.26 लाख रुपए चुकाने पड़ रहे हैं। पूर्व सरकार के समय वर्ष 2013 से 2017 तक निगम में कुल 1275 बसों की खरीद की गई, जबकि इनमें से बहुत सी बसें निगम के डिपो में लंबे समय से धूल फांक रही हैं। इन बसों के लोन के रूप में परिवहन निगम को 180 करोड़ रुपए चुकाने हैं और इस स्थिति से कैसे निपटा जाए, इसके लिए प्रदेश परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने प्रदेश की जनता से अपने बहुमूल्य सुझाव भी मांगे हैं।

हमारे सामने अनेक प्रकार की चुनौतियां
सोशल मीडिया पर परिवहन निगम का दर्द बयां करते हुए परिवहन मंत्री ने कहा कि निगम 12000 चालक-परिचालक, पीस मील कर्मचारियों व मैकेनिकों सहित हजारों लोगों को रोजगार दे रहा है। सरकारों ने सस्ती लोकप्रियता और गलत नीतियों के कारण इस निगम को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, ऐसे में हमारे सामने अनेक प्रकार की चुनौतियां हैं।

पूर्व सरकार के समय लिया गया था लोन
उन्होंने कहा कि जनता को सस्ती, सुलभ व नई बन रही सड़कों पर बसें देने से लेकर अच्छी कार्यशाला, बस अड्डे, पैंशन भोगियों को समय पर उनके वित्तीय लाभ देने से लेकर निगम में दिन-रात कार्य कर रहे चालक-परिचालक और अन्य कर्मचारियों को समय पर उनके भत्ते देना उनकी प्राथमिकता है लेकिन पूर्व सरकार के समय लिए गए लोन के 9844.63 लाख रुपए देने पड़ रहे हैं, जिसका प्रिंसीपल इंट्रस्ट ही 3910.26 लाख रुपए दिया जाता है। ऐसे में उन्होंने इस स्थिति से निपटने के लिए लोगों से बहुमूल्य सुझाव मांगे हैं।

निगम को चुकाना पड़ेगा 180 करोड़ का कर्ज
परिवहन निगम को करीब 180 करोड़ रुपए की शेष राशि देनी है। परिवहन मंत्री का कहना है कि सरकार इसके लिए हालांकि भरपूर मदद कर रही है, लेकिन परिवहन निगम को इस स्थिति से बाहर लाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जे.एन.एन.यू.आर.एम. बसों की कहानी अलग है, लेकिन इस विकट स्थिति से निपटने के लिए उन्होंने लोगों से सुझाव मांगे हैं।

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