Edited By Ekta, Updated: 09 May, 2019 11:47 AM
क्षेत्रीय अस्पताल डी.डी.यू. में इन दिनों मरीज अपना इलाज करवाने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो रहे हैं। यहां पर अगर किसी की सिफारिश है तो ही वह अपना चैकअप करवा सकता है, वरना बिना चैकअप करवाए वापस घर जाना पड़ सकता है। हद तो यह है कि डी.डी.यू....
शिमला (जस्टा): क्षेत्रीय अस्पताल डी.डी.यू. में इन दिनों मरीज अपना इलाज करवाने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो रहे हैं। यहां पर अगर किसी की सिफारिश है तो ही वह अपना चैकअप करवा सकता है, वरना बिना चैकअप करवाए वापस घर जाना पड़ सकता है। हद तो यह है कि डी.डी.यू. में नया भवन तो बन गया है, हालांकि यहां पर कुछ ओ.पी.डी. को भी पुराने से नए भवन में शिफ्ट किया गया है, लेकिन टोकन सिस्टम अभी तक शुरू नहीं हुआ है। टोकन सिस्टम शुरू न होने से मरीजों को दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ रहा है। यहां पर लोग सुबह के समय अपनी पर्ची सुरक्षा गार्ड के पास पकड़ा देते हैं और मरीज का चैकअप करवाने के लिए नंबर 3 से 4 बजे तक ही आता है।
ऐसे में आधे से ज्यादा मरीज सिफारिश के चलते अपना उपचार करवा लेते हैं और जो लोग सुबह से बैठे होते हैं, उन्हें बिना चैकअप करवाए वापस घर जाना पड़ता है। डी.डी.यू. में सैकड़ों मरीज अपना उपचार करवाने आते हैं। ऐसे में मरीजों को अपना इलाज करवाने से वंचित रहना पड़ता है। डी.डी.यू. में अक्सर देखा जाता है कि सुरक्षा गार्ड और मरीजों की आपस में कहासुनी तक हो जाती है। बावजूद उसके प्रशासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। डी.डी.यू. में टोकन सिस्टम का होना बहुत जरूरी है। तभी मरीज अपना उपचार करवा सकते हैं। डी.डी.यू. में हालत कुछ इस तरह से बन गई है कि यहां पर प्रशासन द्वारा भी कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। ऐसे में प्रशासन की लापरवाही का खमियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ रहा है।
मरीजों को खड़े होने की भी जगह नहीं
एक तरफ नए भवन के ओ.पी.डी. में सिफारिश चल रही है तो दूसरी ओर पुराने भवन में चल रही जनरल ओ.पी.डी. में मरीजों को खड़े होने की भी जगह नहीं होती है। यहां पर जगह इतनी तंग है कि अगर 15 से 20 मरीज ओ.पी.डी. के बाहर आ जाएं तो यहां पर गुजरने तक की जगह नहीं होती है। इस ओ.पी.डी. को भी पुराने से नए भवन में शिफ्ट किया जाना चाहिए, ताकि मरीजों को किसी भी प्रकार की दिक्कत न आए।