कुल्लू में इस बार भाई के साथ भाभी की कलाई पर भी बंधेगी राखी

Edited By Vijay, Updated: 21 Aug, 2018 07:35 PM

this time rakhi tied on sister in law s wrist with brother in kullu

कुल्लू में ऐसा कोई भी घर नहीं होगा जहां भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक कहे जाने वाले रक्षाबंधन के लिए रेश्म के धागे की खरीद नहीं होगी। हां, यह बात अलग है कि राखी के अंदाज अलग हो सकते हैं।

कुल्लू: कुल्लू में ऐसा कोई भी घर नहीं होगा जहां भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक कहे जाने वाले रक्षाबंधन के लिए रेश्म के धागे की खरीद नहीं होगी। हां, यह बात अलग है कि राखी के अंदाज अलग हो सकते हैं। राखी के त्यौहार के लिए कुल्लू का बाजार पूरी तरह से सज गया है। यहां पर कई तरह की रंग-बिरंगी राखियां बाजार की शोभा बढ़ा रही हैं। बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उससे रक्षा का वचन भी लेगी। इस बार की राखी की खासियत यह है कि युवतियां भाभी की कलाई पर भी राखी बांधेंगी।
PunjabKesari
बाजार में खूब बिक रही लूम्मा नाम की राखी
लूम्मा नाम की इस राखी की बाजार में खूब बिक्री हो रही है। 15 से 25 रुपए की इस राखी को बहुत-सी युवतियां खरीद रही हैं। राखी विक्रेता का कहना है यह राखी युवतियों द्वारा अपनी नई नवेली भाभी की कलाई पर बांधी जाएगी। कुल्लू के देव समाज में इस धागे की अपनी एक अटूट आस्था पुरखों के समय से जुड़ी है। रक्षाबंधन के पवित्र धागे के बंधने से भाई-बहन के रिश्ते और प्रगाढ़ हो जाते हैं।

यहां देवी-देवताओं को भी बांधी जाती है राखी
हालांकि इस पर्व में भाइयों के अलावा देवी-देवता को भी राखियां बांधी जाती हैं। कुल्लू में ऐसा कोई गांव नहीं है, जहां देवी-देवता के मंदिर और देवरथ नहीं हैं। अटूट आस्था के चलते देवी-देवता के पुरोहित अपने-अपने देवताओं को वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ रेश्म की डोरी बांधते हैं। देवताओं के साथ ही पुरोहित लोग अपने यजमानों को भी राखी बांधते हैं। कुल्लू में ऐसी रस्म भी है कि घर-घर जाकर कुल पुरोहित अपने यजमानों को राखी बांधते हैं। बंदल के पाषाण वीर के पुरोहित जीवन शर्मा इसे पौराणिक प्रथाओं से जोड़ते हैं। उनके अनुसार गुरु बृहस्पति ने युद्ध में विजय के लिए देवराज इंद्र को रेश्म की डोरी अभिमंत्रित कर भेजी थी। वहीं इंद्र की पत्नी सची ने युद्ध में विजय के लिए रक्षासूत्र बांधकर भेजा था।

यह समिति पीपल के पेड़ को बांधती है राखी
उमंग कृष्णा समिति कुल्लू स्थित पीपल के पुराने पेड़ को राखी बांधती है। गत वर्ष भी इसका आयोजन हुआ था। समिति के संस्थापक ललित कुमार इसे भगवान श्रीकृष्ण से जोड़ते हैं। हालांकि इसका आयोजन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात को होता है। भगवान श्रीकृष्ण के झूले की डोर भी 108 फुट लंबी राखी से बनाई जाती है। समिति के संस्थापक के अनुसार भगवान कृष्ण के 108 नाम हैं और हिंदू धर्म में भी 108 के फेर को शुभ माना जाता रहा है। सभी धार्मिक कार्यों व अनुष्ठानों में 108 नाम की माला का जाप किया जाता रहा है। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!