औषधीय गुणों से भरपूर है ये तेल, बाजार में बढ़ने लगी डिमांड

Edited By Vijay, Updated: 21 Jan, 2020 08:55 PM

this oil is full of medicinal properties demand growing in market

हिमाचल प्रदेश के दूरदराज ग्रामीण इलाकों में चुल्ली के महत्व को लोग अब फिर से समझने लगे हैं। पुराने समय में पहाड़ी इलाकों में चुल्ली का तेल ही खाने और मालिश के लिए प्रयोग होता था। मई-जून माह में चुल्ली पेड़ों पर पकने के बाद इसे पेड़ से गिराते थे।...

रामपुर बुशहर (विशेषर नेगी): हिमाचल प्रदेश के दूरदराज ग्रामीण इलाकों में चुल्ली के महत्व को लोग अब फिर से समझने लगे हैं। पुराने समय में पहाड़ी इलाकों में चुल्ली का तेल ही खाने और मालिश के लिए प्रयोग होता था। मई-जून माह में चुल्ली पेड़ों पर पकने के बाद इसे पेड़ से गिराते थे। उसके बाद चुल्ली का छिलका और गुठली अलग-अलग किए जाते थे। सुखाने के बाद गुठलियों को तोड़कर गिरी अलग की जाती थी और ओखली में कूट-कूट कर तेल निकाला जाता था। अब धीरे-धीरे कोहलू अथवा मशीन से तेल निकाला जा रहा है।
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कुछ समय पहले तक चुल्ली के तेल को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जा रही थी लेकिन जैसे ही लोगों को  बाजार में मिलने वाले दूसरे तेलों में चिकित्सकीय नजरिए से नुक्सान नजर आने लगे हैं तो उसके बाद लोगों का रुझान चुल्ली की ओर बढऩे लगा है। अब लोग फिर से चुल्ली यानी वाइल्ड एप्रीकॉट के पेड़ लगाकर इसे आर्थिक साधन के तौर पर भी देखने लगे हैं। जब से चुल्ली के तेल का पेटैंट हुआ है, उसके बाद मार्कीट में चुल्ली के तेल की कीमत भी काफी बढ़ गई है।
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यह जहां औषधीय गुणों से भरपूर है वहीं पौष्टिक व ताकतवर भी माना जाता है। मालिश में भी चुल्ली का तेल काफी लाभकारी रहता है। तेल निकालने के लिए काफी श्रम शक्ति की आवश्यकता पड़ती है इसलिए इसका बाजारी भाव अधिक है। बाजार में बढ़ती मांग को देखते हुए अब ग्रामीण क्षेत्रों में लोग आने वाले समय के लिए एक रोजगार और आर्थिकी के रूप में भी इसे देखने लगे हैं। स्थानीय मंडियों में ही चुल्ली के तेल की कीमत 1500 रुपए प्रति लीटर हो चुकी है।
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रामपुर के रहने वाले चंद्रमोहन ने बताया कि हमारे यहां चुल्ली पैदा होती है और इस चुल्ली को आज वाइल्ड एप्रिकॉट के नाम से जाना जाता है। चुल्ली का तेल काफी ताकतवर होता है। इसको खाने से शरीर को काफी लाभ मिलता है। मालिश के लिए भी यह काम आता है। इस तेल की मार्कीट में काफी मांग बढ़ गई है।
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किन्नू के रहने वाले देवेंद्र सिंह ने बताया यह विशुद्ध रूप से जैविक है। इसमें किसी प्रकार का कैमिकल प्रयोग नहीं किया जाता और न ही छिड़काव किया जाता है। जब से मार्कीट में चुल्ली के तेल का पेटैंट हुआ है, उसके बाद इसकी डिमांड बढ़ी है। लोगों का भी रुझान इस ओर हो रहा है। हालांकि इसमें मेहनत काफी है लेकिन अब यह ग्रामीणों का आय का स्त्रोत बनता जा रहा है। जगोरी की रहने वाली लक्ष्मी ने बताया कि चुल्ली का पेड़ काफी गुणकारी है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि चुल्ली के पेड़ों को बढ़ाएं।

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