इस महिला तहसीलदार ने किया कुछ ऐसा, सब कर रहे सलाम

Edited By prashant sharma, Updated: 09 Oct, 2020 12:29 PM

this lady tehsildar did something like this everyone is saluting

सरकारी पदभार संभालने वाला बैठा इंसान न पुरुष होता है और न ही महिला वह बस ऑफिसर होता है। इसी बात हो चरित्रार्थ कर रही है कांगड़ा जिला के बड़ोह की युवा तहसीलदार शिखा राणा।

ऊना (विशाल स्याल) : सरकारी पदभार संभालने वाला बैठा इंसान न पुरुष होता है और न ही महिला वह बस ऑफिसर होता है। इसी बात हो चरित्रार्थ कर रही है कांगड़ा जिला के बड़ोह की युवा तहसीलदार शिखा राणा। पीजीआई में फिजियोथैरेपिस्ट की नौकरी छोडकर एचएएस का एग्जाम पास करके ऊना जिला में नायब तहसीलदार और वर्तमान में बड़ोह में तहसीलदार का पदभार संभाल रही शिखा राणा अब कोविड-19 संक्रमण से मरने वाले मरीजों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी संभाले हुए है। सभी पुरुष स्टाफ के बीच यह युवा तहसीलदार अकेली महिला है जोकि मृत कोरोना मरीजों के कोविड-19 गाइडलाइन के तहत अब शिखा टांडा में श्मशान घाट में अंतिम संस्कार करवाने में लगी हुई है और अगले 3 माह तक वह इसी कार्य में लगी रहेगी। 

एसडीएम नगरोटा बगवां द्वारा टांडा मेडिकल कॉलेज में मरने वाले कोरोना संक्रमित मरीजों के गाइडलाइन के तहत अंतिम संस्कार करवाने के लिए राजस्व विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। रोस्टर में आगामी 3 माह के लिए ड्यूटी शैडयूल तय किया गया है। इनमें तहसीलदारों के साथ स्पोर्टिंग स्टाफ की ड्यूटियां भी तय की गई हैं। खास बात है कि इनमें बाकी सभी पुरुष हैं जबकि शिखा राणा इनमें एकमात्र महिला अधिकारी के तौर पर अंतिम संस्कार की ड्यूटी निभा रही है। शिखा अब तक 2 मरीजों के संस्कार टांडा में करवा चुकी हैं जबकि 2 के शवों को संबंधित क्षेत्र के एसडीएम. की आज्ञा से संबंधित क्षेत्रों में अंतिम संस्कार के लिए भेज चुकी हैं। 
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यूं तो धार्मिक मान्यताओं में अंतिम संस्कार के दौरान महिलाएं श्मशान घाट पर नहीं जाती हैं लेकिन बदलते वक्त के बीच महिलाओं व युवतियों ने अपने पारिवारिक सदस्यों को मुखाग्री देते हुए रिवायतों को बदलना शुरू किया है। इसी कड़ी के बीच तहसीलदार बड़ोह शिखा राणा भी शमशान घाट में अपनी देखरेख में मृतकों के अंतिम संस्कार को जिम्मेदारी पूर्ण रूप से निभा रहीं हैं। खास बात है कि अब तक के जीवनकाल में शिखा ने इससे पहले कभी अंतिम संस्कार नहीं देखा था और न ही उन्हें इस बारे में कोई जानकारी थी लेकिन फिर भी वह इस ड्यूटी में डटी हुई हैं। 

मूल रूप से हमीरपुर की निवासी शिखा राणा चुनौतियों का सामना करते हुए अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में लगी हुई हैं। कांगड़ा के चंगर क्षेत्र बड़ोह में वह बतौर तहसीलदार सेवाएं दे रही है। यहां उनको सरकारी निवास नहीं मिला है और वह किराये के घर में रह रही है। अब कोविड ड्यूटी में भी वह चुनौतियों को पार करने में लगी हुई है। शुरू से ही बिजली बोर्ड से सेवानिवृत एसडीओ राजेन्द्र सिंह राणा व वीना राणा ने अपनी बेटी को चुनौतियों का सामना करने और लक्ष्य को पाने के लिए प्रेरित किया है।

शिखा राणा की माने तो अंतिम संस्कार के लिए लगी ड्यूटी में भी उनका परिवार उन्हें पूरा प्रोत्साहन दे रहा है। बड़ोह में भी कई लोग अपनी बेटियों को लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रेरित करने को अपनी बेटियों को शिखा से मिलवा रहे हैं जिनको शिखा विभिन्न तरह के एग्जाम पास करने के लिए प्रेरित कर रही हैं। शिखा राणा की माने तो माता-पिता की प्रेरणा और प्रोत्साहन के चलते वह हर चुनौती और हर कर्तव्य का निर्वहन कर पा रही हैं। सरकारी पद पर रहते हुए वह हर तरह के कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए तैयार हैं। बेटियों को कम नहीं आंकना चाहिए बल्कि उन्हें प्रेरित करते हुए उनका हौसला बढ़ाना चाहिए।
 

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