जिला परिषद के चुनावों में भाजपा को मिली हार का यह है बड़ा कारण, पढ़ें खबर

Edited By Vijay, Updated: 19 Sep, 2018 03:09 PM

this is the major reason for defeat of bjp in the district council elections

जिला परिषद के सोमवार को हुए उपाध्यक्ष पद के चुनावों में भाजपा समर्थित प्रत्याशी की हार के कई कारण बताए जा रहे हैं। बताया यह भी जा रहा है कि भाजपा ने उपाध्यक्ष पद पर प्रत्याशी घोषित करने में काफी समय बीता दिया, जिसके चलते भाजपा अपने प्रत्याशी के हक...

धर्मशाला: जिला परिषद के सोमवार को हुए उपाध्यक्ष पद के चुनावों में भाजपा समर्थित प्रत्याशी की हार के कई कारण बताए जा रहे हैं। बताया यह भी जा रहा है कि भाजपा ने उपाध्यक्ष पद पर प्रत्याशी घोषित करने में काफी समय बीता दिया, जिसके चलते भाजपा अपने प्रत्याशी के हक में समर्थन नहीं जुटा पाई। दूसरा कारण सरदारी गंवाने का यह भी बताया जा रहा है कि जहां पर कांग्रेस का एकमात्र प्रत्याशी सर्वसहमति से चुना गया था तो दूसरी ओर उपाध्यक्ष पद की दौड़ में भाजपा के 4 से 5 सदस्य सामने आ गए थे उन चाहवानों को कांगड़ा के मंत्री संतुष्ट नहीं कर पाए, जिसके चलते क्रॉस वोटिंग हुई और उसका फायदा कांग्रेस को मिला। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के पास 27 सदस्यों का समर्थन था और कांग्रेस ने यह अनुमान लगाया था कि यदि कोई भाजपा समर्थित सदस्य कांग्रेस के प्रत्याशी को वोट करेगा तो कांग्रेस के समर्थन में आंकड़ा 30 तक पहुंच जाएगा जबकि भाजपा के सदस्यों की नाराजगी के चलते यह आंकड़ा 30 से 35 तक पहुंच गया।

लोग तो तंग हैं ही भाजपा के कार्यकर्ता भी मंत्रियों से खुश नहीं
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव अजय वर्मा कहते हैं कि कांग्रेस ने एकजुटता दिखाकर इस चुनाव को लड़ा है। इसका सीधा प्रमाण हमारे द्वारा गत दिन दिया गया। उन्होंने कहा कि हमारे 27 सदस्य अपने प्रत्याशी के लिए पूरे एकजुट थे। हमने 2 रणनीतियां बनाई थीं, जिसके बाद कुछ फेरबदल किया गया। उन्होंने कहा कि उनकी एकजुटता नहीं थी जिस कारण हमारी जीत हुई। भाजपा से लोगों का मोह भंग हो गया है। लोग तो तंग हैं ही भाजपा के कार्यकर्ता ही अपने मंत्रियों से खुश नहीं हैं, वहीं भाजपा संगठनात्मक जिला कांगड़ा  के अध्यक्ष संजय चौधरी का कहना है कि जिप उपाध्यक्ष के चुनाव में मिली हार के कई कारण रहे हैं, उसकी समीक्षा की जाएगी। भविष्य में ऐसा फिर न हो, उसके लिए प्रयास किए जाएंगे।

ये भी रहे हार के कारण
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो भाजपा को मिली हार का एक बड़ा कारण यह भी रहा है कि भाजपा ने जो प्रत्याशी इस उपाध्यक्ष पद के लिए दिया वह हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के दायरे में आ रहा था और कांगड़ा भाजपा के सदस्य इससे खफा थे। विशेषज्ञों की मानें तो यदि इसके अलावा उपाध्यक्ष पद पर अन्य चाहवान प्रत्याशी की घोषणा करती तो पासा पलट सकता था।

भाजपा ने ओ.बी.सी. वर्ग से मोल ली नाराजगी
भाजपा को मिली हार का एक और कयास यह भी लगाया जा रहा है कि एक तो 18 सदस्य ओ.बी.सी. के थे और भाजपा ने इस वर्ग के साथ नाराजगी मोल ली। वहीं ओ.बी.सी. वर्ग से आने वाली एक मंत्री व एक विधायक को भी नजरअंदाज किया गया, साथ ही इस उपाध्यक्ष के चुनाव में नूरपुर हल्के को भी ज्यादा तवज्जों नहीं दिया गया जबकि नूरपुर हल्का जीत के समीकरण को बदल सकता है।

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