Edited By kirti, Updated: 20 Apr, 2019 11:35 AM
हरोली क्षेत्र के अंतर्गत गांव पोलियां बीत में एक छोटी सी अस्थायी झोंपड़ी में रह रहे परिवार को आशियाने के लिए मदद की दरकार है। गांव पोलियां बीत में एक छोटी सी झोंपड़ी में अपना जीवन बसर कर रहे प्रवीण कुमार निवासी पोलियां बीत का अभी तक अपना घर नहीं बन...
टाहलीवाल: हरोली क्षेत्र के अंतर्गत गांव पोलियां बीत में एक छोटी सी अस्थायी झोंपड़ी में रह रहे परिवार को आशियाने के लिए मदद की दरकार है। गांव पोलियां बीत में एक छोटी सी झोंपड़ी में अपना जीवन बसर कर रहे प्रवीण कुमार निवासी पोलियां बीत का अभी तक अपना घर नहीं बन पाया है। घर बनाने के लिए प्रवीण के पास अपनी भूमि भी नहीं है। वैसे तो सरकार द्वारा गरीबों के हित में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं परंतु प्रवीण कुमार के घर-द्वार तक कोई योजना नहीं पहुंची है जबकि प्रवीण की झोंपड़ी से मात्र 50 मीटर की दूरी पर पंचायत घर है। प्रवीण का संयुक्त परिवार करीब 22 साल पहले जिला ऊना के अम्ब से पोलियां बीत में शिफ्ट हुआ था।
उसके 4 भाई हैं, जिन्होंने अपनी हैसियत के हिसाब से अपने छोटे-छोटे आशियाने बना लिए हैं परंतु सबसे गरीब प्रवीण कुमार दिहाड़ी मजदूरी करके अपने परिवार का पालन-पोषण करता है। उसके पास न तो अपनी जमीन है और न ही पक्का घर है। वह अपने भाई की जमीन में ही अस्थायी तौर पर झुग्गी बनाकर जीवन बसर कर रहा है। छोटी सी झोंपड़ी कई बार तो तेज हवा से बिखर जाती है और अधिक बारिश पडऩे पर झोंपड़ी पानी से लबालब हो जाती है। उन्होंनेे बताया कि उसका जनरल राशन कार्ड है। आज तक गरीब परिवार से संबंधित राशन कार्ड नहीं बना है। उसने इस संबंध में पंचायत से भी गुहार लगाई थी। उसकी झोंपड़ी में बिजली भी नहीं है, जिससे रात को अंधेरे में मोमबत्ती व दीये से ही काम चलाना पड़ता है। उसने आवास स्थल व पक्का घर बनाने के लिए राजनीतिक दलों से भी मदद की गुहार लगाई है परंतु नेताओं द्वारा आज तक मात्र आश्वासन ही मिले हैं।