Edited By prashant sharma, Updated: 30 Oct, 2020 06:23 PM
सिरमौर जिला के गिरिपार क्षेत्र के किसान इन दिनों साल में करीब दस माह तक खाए जाने वाले पौष्टिक व्यंजन सत्तू को तैयार करने में जुटे हैं।
संगड़ाह : सिरमौर जिला के गिरिपार क्षेत्र के किसान इन दिनों साल में करीब दस माह तक खाए जाने वाले पौष्टिक व्यंजन सत्तू को तैयार करने में जुटे हैं। मक्की से तैयार होने वाले इस सूखे खाद्यान्न के लिए पहले मक्का को भाड़ में भूनकर तैयार किया जाता है और इसके बाद घराट अथवा चक्की में पीसा जाता है। इन दिनों गांव-गांव में भाट कहलाने भाड़ में किसान मक्का की भुनाई करते देखे जा रहे हैं। आमतौर पर गर्मियों व बरसात में सत्तू लस्सी, दही, चटनी, गुड व शहद आदि के साथ सत्तू खाए जाते हैं। क्षेत्र के बुजुर्गों के अनुसार यह है पौष्टिक भोजन के साथ-साथ गर्मियों में होने वाली कई बीमारियों की दवा भी है। ग्रेटर सिरमौर अथवा उपमंडल संगड़ाह, शिलाई व राजगढ़ के सैकड़ों गांव में सदियों से किसान सत्तू तैयार करते हैं। नई पीढ़ी के काफी लोग इस पारम्परिक व्यंजन को पसंद नहीं करते और न ही जिला के किसी ढाबे, रेस्टोरेंट अथवा होटल में सत्तू मिलता है। कुछ पशुपालक इसका इस्तेमाल केटल फीड के लिए भी करते हैं तथा चारे के लिए इसमें खली व अन्य चीजों का आटा मिलाया जाता है। कईं इलाकों में आज भी पानी के घराट मौजूद है, जिसके आटे का स्वाद बिजली से चलने वाली से ज्यादा बेहतर बताया जाता है। बहरहाल मक्की की फसल निकालने के बाद गिरिपार क्षेत्र के किसान सत्तू तैयार करने में जुटे हैं।