बारिश नहीं हुई इसलिए किसानों ने देव दरबार में लगाई फरियाद

Edited By prashant sharma, Updated: 29 Jan, 2021 12:46 PM

there was no rain so farmers filed a complaint in the dev durbar

बारिश अधिक होने या बर्फबारी से फसल खराब होने पर मुआवजे की मांग को लेकर किसानों को धरना देते हुए आपने देखा और सुना होगा, पर बारिश न होने की स्थिति में भी किसान धरना दे तो।

मंडी : बारिश अधिक होने या बर्फबारी से फसल खराब होने पर मुआवजे की मांग को लेकर किसानों को धरना देते हुए आपने देखा और सुना होगा, पर बारिश न होने की स्थिति में भी किसान धरना दे तो। जी, हां हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में बारिश और बर्फबारी न होने पर किसानों ने देव दरबार में धरना दिया है। हिमाचल प्रदेश में सांस्कृतिक राजधानी के लिए विख्यात मंडी जिले में आज भी देव परंपरा कायम है। बारिश-बर्फबारी के लिए देवताओं को राजी न कर पाने वाले गूर (पुजारी) की कुर्सी चली जाती है। इस अनूठी परंपरा का आज भी निर्वाह हो रहा है।

पर्याप्त बारिश-बर्फबारी न होने से सूख रही फसलों से नाराज मंडी जिले की कमरूघाटी के हटगढ़ और नंदगढ़ के किसानों-बागवानों ने कमरूनाग के पुत्र देव लटोगली के दरबार में धरना दिया। मान्यता के अनुसार यदि गूर दौलत राम ने देवताओं को मनाकर बारिश नहीं करवाई तो उनकी कुर्सी चली जाएगी। देवता को मनाने के लिए किसान गूर से धूप दिला रहे हैं। ऐसे में मंडी के आराध्य देव कमरूनाग और उनके पुत्र लटोगली आज भी मौसम विशेषज्ञों पर भारी पड़ रहे हैं। मौसम विभाग की हाईटेक मशीनरी को दरकिनार कर लोग बारिश-बर्फबारी के लिए देव दरबार पहुंचते हैं। बीडीओ निशांत शर्मा का कहना है कि ऐसी प्राचीन मान्यताएं अब भी कायम है, जिसका लोग सम्मान करते हैं। 

कमरूनाग जब रूठते हैं और बारिश नहीं करते हैं तो लोग उनके पुत्र देव लटोगली के दरबार पहुंच जाते हैं। महाभारत काल से यह मान्यता जुड़ी है। मंडी जिले के लोग बड़ा देव कमरूनाग को इंद्र देवता (बारिश के देवता) मानते हैं। इसका जिक्र भाषा एवं संस्कृति विभाग की किताबों में भी है कि बड़ा देव कमरूनाग के पूर्व लेबलु गूर लोगों के साथ बातोंबातों में पीठ फेरते ही बारिश और ओलों की बौछार कर देते थे। मंडी के शिवरात्रि और गोहर के ख्योड मेले में प्रशासन को लेबलु गूर के लिए मंच पर विशेष कुर्सी रखनी पड़ती थी। ऐसा न करने पर लेबलु गूर पूरे मेले को बारिश में तबाह कर देते हैं। 

सेब पौधे सप्लाई करने वाली सेब नर्सरियों पर मौसम की मार पड़ी है। जनवरी में जिले में बारिश कम हुई है। बर्फबारी भी ऊंचे क्षेत्रों में हुई, जबकि सेब बेल्ट में अभी बर्फबारी नहीं हुई है। इस कारण फिलहाल बागवानों ने पौधे लगाना रोक दिया है। नर्सरी संचालकों का स्टॉक आधा भी नहीं बिका है। नर्सरियों में सेब, पलम, आड़ू, जापानी फल आदि के पौधे लगाए हैं। नर्सरी संचालकों की मानें तो अब सेब की नई स्पर वैरायटी, गाला, स्कारलेट-2 आदि की मांग अधिक है। 
 

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