मंडियों में रॉयल और स्पर सेब की धमाकेदार Entry (Video)

Edited By Ekta, Updated: 30 Jul, 2019 06:21 PM

प्रदेश मे सेब सीजन ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है। प्रदेश के निचले इलाकों से अब अर्ली वैरायटी के सेब के साथ रॉयल ने भी दस्तक देनी शुरू कर दी है। ठियोग के साथ लगती पंचायतों में टाइड मैंन के साथ अब स्पर सेब की मंडियों में धमाकेदार एंट्री की है, लेकिन...

ठियोग (सुरेश): प्रदेश मे सेब सीजन ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है। प्रदेश के निचले इलाकों से अब अर्ली वैरायटी के सेब के साथ रॉयल ने भी दस्तक देनी शुरू कर दी है। ठियोग के साथ लगती पंचायतों में टाइड मैंन के साथ अब स्पर सेब की मंडियों में धमाकेदार एंट्री की है, लेकिन अच्छी बारिश न होने के कारण बागवानों को सेब के साइज में इजाफा न होने से दिक्कत आ रही है। सेब का सीजन इस बार 10 से 15 दिन देरी से चल रहा है, जिससे बागवानों को और इंतजार करना पड़ रहा है। ठियोग के छैला में सेब मंडियों के लिए तैयार हो रहा है, जहां बदलते जमाने के साथ अब सेब को मशीनों की सहायता से ग्रेडिंग ओर पैकिंग की जा रही है। हालांकि इसमें भी हर साल खर्च बढ़ जाता है। 
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बागवानों का कहना है कि इस बार सीजन में देरी है, जिसका कारण समय पर बारिश न होना और साइज में बढ़ोतरी न होना है। बागवानों का कहना है कि इस बार सेब की फसल अच्छी लगी, लेकिन मौसम के अनुरूप न रहने से इस बार सीजन देरी से शुरू हो रहा है, लेकिन अभी बाजार में फसलों के दाम अच्छे मिल रहे है। इस बार सूखे की मार झेल रहे बागवानों को सेब की अच्छी फसल के बावजूद सेब के आकार ने बढ़ने से कम दाम ओैर औसत में कमी की चिंता सता रही है, लेकिन ऊपरी इलाकों में अभी सीजन शुरू होने में समय है, ऐसे में बारिश होने से बागवानों की उम्मीद अभी भी जागी हुई है। हांलाकि मंडियों में रॉयल और स्पर वैरायटियों दस्तक दे चुकी है। लेकिन इसका टाइड मैन और रेड गोल्ड जैसी वैराइटियों पर कोई असर नहीं पड़ा है।
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मार्केट में टाइडमैन रेड गोल्ड को अभी भी अच्छे दाम मिल रहे है। टाइडमैन जहां 1800 रुपए प्रति पेटी के भाव से बिक रहा है वहीं रेड गोल्ड 1300 रुपए प्रति पेटियों के हिसाब से बिक रहा है। टाइड मैन और रेड गोल्ड की शैल्फ लाइन कम होने से यह वैराइटियां स्पर रॉयल वैराईटियों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाती है, लेकिन इस बार पिछले वर्षों की तुलना में इन स्पर रॉयल के मंडियों में आने से इन वैराइटियों के दाम ज्यादा प्रभावित नहीं हुए है। स्पर एक विदेशी वैरायटी है इसे रॉयल डिलीशियस को डवलप करके बनाया गया है। इसके तहत रेड चीफ, सुपर-चीफ, स्कारलेट स्पर, आर्गन स्पर किस्में आती हैं।

सेब की स्पर वैरायटी रॉयल की तुलना में जल्दी फल देने लगती है। यह लगभग तीन से चार सालों में फल देना शुरू कर देती है। स्पर के एक पौधे में एक से दो पेटियां निकलती हैं। इसके अलावा इसका तुड़ान आसानी से हो जाता है। इसका पौधा काफी छोटा होता है। ऐसे में छोटे से प्लॉट पर भी आसानी से स्पर लगाया जा सकता है। मंडियों में अभी रॉयल सिर्फ करसोग से रहा है। इस कारण दाम काफी कम है। इसी तरह कोटखाई से स्पर की पेटियां मंडियां पहुंचने लगी है। इस कारण मंडी में उछाल आया है। वहीं बता दे कि इस बार सूखे की मार झेल रहे बागवानों को इस बार अच्छी फसल के बावजूद दाम अच्छे नहीं मिल रहे है।




 

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