फसलों के मिल रहे औने-पौने दाम, कैसे दोगुनी होगी किसानों की आय

Edited By Vijay, Updated: 17 Jun, 2018 06:46 PM

the untimely cost of crops how to double the income of the farmers

केंद्र सरकार किसानों की आय को दोगुना करनेे की कवायद में जुटी है लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है। इस बार भी किसानों के साथ धोखा ही हो रहा है। उन्हें अपनी उपज के मनमाफिक दाम नहीं मिल पा रहे हैं।

कुल्लू: केंद्र सरकार किसानों की आय को दोगुना करनेे की कवायद में जुटी है लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है। इस बार भी किसानों के साथ धोखा ही हो रहा है। उन्हें अपनी उपज के मनमाफिक दाम नहीं मिल पा रहे हैं। पसीना बहाकर खेतों में लहसुन और टमाटर तैयार किए जाते हैं लेकिन दाम में पूरी तरह से पिछड़ रहे हैं। हालांकि पिछली बार किसानों को टमाटर के अच्छे दाम मिले थे। इसी आस में उन्होंने अपने खेतों में टमाटर लगाए थे लेकिन औने-पौने दाम मिलने से अब उनमें मायूसी है। यही हाल लहसुन का है। जिन्होंने टमाटर से किनारा किया वे लहसुन की खेती करके ठगे गए। लहसुन भी खेतों में तंबुओं के नीचे व्यापारियों की बाट जोह रहा है।


अच्छे दाम मिलने की संभावना बिल्कुल कम
उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश व गुजरात सहित अन्य प्रदेशों में लहसुन की बंपर फसल होने से अच्छे दाम मिलने की संभावना बिल्कुल कम है। किसान सहमे हुए हैं कि आने वाले समय में भी उन्हें लहसुन के अच्छे दाम से महरूम होना पड़ सकता है। इन दिनों लहसुन 5 से लेकर 25 रुपए प्रतिकिलो तक बिक रहा है। हिमाचल प्रदेश का लहसुन मंदी की चपेट में आ गया है। यहां पर बड़े व्यापारी भी दस्तक नहीं दे रहे हैं। लगघाटी के किसानों वेद राम, भीम सिंह, दौलत सिंह, डाबे राम, रणवीर व दियोहरी के तहत आने वाले रैंह गांव के लीलाधर व युगल किशोर का कहना है कि खेती से अब किसानों का मोहभंग हो रहा है। पूरा परिवार खेती के दौरान पूरा समय वहीं गुजार देता है लेकिन कम दाम मिलने से परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल हो रहा है।


भविष्य में लहसुन की खेती से हायतौबा
किसान लीलाधर का कहना है कि प्रकृति की मार हो, बाजार की मार हो, वह सब कुछ झेल कर भी सामान्य रहता है, लेकिन ऐसी स्थिति कब तक बनी रहेगी। एक के बाद एक झटके से हम सब बेहाल हैं। टमाटर की फसल यहां तैयार हो गई है लेकिन इसका शुरूआत में ही उन्हें झटका लग गया है। रही-सही कसर लहसुन ने निकाल दी है। अब वे इन फसलों को उगाने से परहेज ही करेंगे। कुल्लू जिला में करीब 1500 हैक्टेयर भूमि पर लहसुन की खेती की जाती है। यहां पर औसतन 14000 मीट्रिक टन लहसुन का उत्पादन होता है। कुल्लू के अलावा मंडी, किन्नौर, सोलन व सिरमौर में भी लहसुन की खेती होती है। सिरमौर का हरिपुरधार लहसुन के मामले में अव्वल है।


इस बार फिरा मंसूबों पर पानी
हालांकि पिछले कुछ वर्षों से लहसुन के अच्छे दाम मिल रहे थे लेकिन इस बार लहसुन ने फिलहाल किसानों की कमर तोड़ दी है। मंडियों में ले जाने से किसान परहेज ही कर रहे हैं। वे लहसुन को स्टॉक के तौर पर रख रहे हैं। कई किसानों ने लहसुन की खेती के लिए मजदूर भी रखे थे लेकिन बीज व स्प्रे सहित अन्य मजदूरी को जोड़ते हुए उनका खर्च तक पूरा नहीं हो पाया है। अन्य राज्यों में पैदावार अधिक होने व मांग कम होने के चलते इस तरह के हालात पैदा हो गए हैं। ए.पी.एम.सी. कुल्लू के सचिव एस. गुलेरिया ने कहा कि स्थानीय मंडियों में लहसुन के दाम में गिरावट आ गई है। अधिक पैदावार होने के कारण इस तरह की स्थिति पैदा हो गई है। लोग अधिक मात्रा में लहसुन की पैदावार कर रहे हैं।

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