दिव्यांगों को भी समाज की मुख्यधारा से जोड़ना सभी का दायित्व

Edited By kirti, Updated: 11 Apr, 2019 02:33 PM

the responsibility of linking the divisions to the main stream of society

जरूरी नही कि दुनिया मे जन्म लेने वाला हर बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ हो। कुछ बच्चे अल्पविकसित रह जाते है। जिनको संसार में आते ही कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे बच्चों व लोगों के लिए अलग-अलग नाम तो दिए जाते है लेकिन इनको समाज...

शिमला(योगराज) : जरूरी नही कि दुनिया मे जन्म लेने वाला हर बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ हो। कुछ बच्चे अल्पविकसित रह जाते है। जिनको संसार में आते ही कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे बच्चों व लोगों के लिए अलग-अलग नाम तो दिए जाते है लेकिन इनको समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए जो काम किया जाना चाहिए उसमें बड़ा बदलाव नहीं दिखता है।

शिमला की अभी संस्था ऐसे दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए पिछले एक दशक से प्रयत्नशील है। सरकारें भी दिव्यांगों के लिए कई तरह के कार्य कर रही है। इसके अलावा निजी संस्थान भी इस दिशा में आगे आए है। शिमला की अभी संस्था की मदद के लिए अब अवसर संस्था सामने आई है। जिसनें दिव्यांगों के दर्द को समझते हुए उनके जीवन स्तर के सुधार के लिए नए उपकरण उपलब्ध करवाए है। अभी संस्था की अध्यक्ष मीनू सूद ने बताया कि दिव्यांग बच्चों को आत्मनिर्भर बनाकर उनको समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए सभी को अपना सहयोग देना चाहिए।

2011 की जनगणना के अनुसार भारत में दो करोड़, 68 लाख, 10 हजार 557 व्यक्ति विकलांग थे, जो कि कुल जनसंख्या का 2.21 फीसदी बैठता है, जबकि विश्व की कुल आबादी के 15 फीसदी लोग विकलांग हैं। यदि हिमाचल प्रदेश की बात करें तो वर्ष 2001 की जनगणना के मुताबिक शारीरिक या मानसिक तौर पर चुनौती प्राप्त लोगों की कुल संख्या एक लाख 55 हजार 950 थी। 2011 की जनगणना में इनकी संख्या में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!