Edited By Ekta, Updated: 02 Nov, 2018 09:08 AM
विश्व बैंक पोषित 1,134 करोड़ रुपए के विवादित बागवानी प्रोजैक्ट के लिए पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जूनियर इंजीनियर और ड्रॉफ्टसमैन सहित अन्य श्रेणी के करीब 55 पदों को भरने के लिए 23 नवम्बर को आर.के.एम.वी. कालेज शिमला में लिखित परीक्षा रखी...
शिमला (कुलदीप): विश्व बैंक पोषित 1,134 करोड़ रुपए के विवादित बागवानी प्रोजैक्ट के लिए पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जूनियर इंजीनियर और ड्रॉफ्टसमैन सहित अन्य श्रेणी के करीब 55 पदों को भरने के लिए 23 नवम्बर को आर.के.एम.वी. कालेज शिमला में लिखित परीक्षा रखी गई है। इसके लिए गत जून माह में पदों को विज्ञाप्ति किया गया था। इसी तरह फैसीलिटेटर के 37 अन्य पदों को भी एक साथ विज्ञापित किया जा चुका है, जिसके लिए भी लिखित परीक्षा का आयोजन किया जाना है।
उल्लेखनीय है कि इस प्रोजैक्ट को लेकर स्वयं बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ने सवाल उठाए हैं। मंत्री खुद इस बात से हैरान हैं कि किस तरह से कंसल्टैंसी पर 100 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए। इसके लिए न्यूजीलैंड के विशेषज्ञों की मदद ली गई थी। बागवानी मंत्री पहले ही कह चुके हैं कि हिमाचल प्रदेश के लिए ऐसे पौधे आयात हुए, जो प्लांटेशन यानि लगाने के लायक नहीं हैं। जिस मौसम में सेब के पौधे लगाए जाते हैं, उस वक्त इसे बागवानों को नहीं दिया गया। पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में इटली से सेब के 7,55,250 पौधे 400 रुपए प्रति पौधा की दर से आयात किए गए थे, जिस पर करीब 32 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
जानकारी के अनुसार बागवानी प्रोजैक्ट के लिए भर्ती प्रक्रिया केंद्र सरकार के निर्देश पर शुरू हुई है। इसके तहत केंद्र से यह कहा गया था कि यदि प्रदेश सरकार प्रोजैक्ट को चलाना चाहती है, तो इस पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करे। ऐसा न करने की स्थिति में प्रोजैक्ट हाथ से निकल जाएगा। इसके बाद प्रदेश सरकार ने थोड़ा नरम रवैया अपनाते हुए भर्ती प्रक्रिया को शुरू किया था और इसके लिए लिखित परीक्षा का आयोजन किया। पहले इसी प्रोजैक्ट के लिए लिखित परीक्षा करने की बजाय अन्य तरीके से भर्तियां की जा रही थीं, जिस कारण चहेतों को नौकरी देने के प्रयास के आरोप भी लगे थे। प्रोजैक्ट का लक्ष्य प्रदेश के 85 फीसदी सीमान्त, छोटे और मंझौले किसान-बागवानों को लाभ पहुंचाना है। सात साल के इस प्रोजैक्ट में करीब डेढ़ लाख उत्पादकों को फायदा पहुंचाने का प्रावधान रखा गया है, जिनमें 33 फीसदी महिलाएं शामिल होंगी। प्रोजैक्ट को प्रदेश के सभी 12 जिलों में मॉडल क्लस्टर और हाईड्रो लॉजिकल बाऊंड्रीज के आधार पर तय किया जाना है।