नशे के जखीरे तक पहुंचने में पुलिस नाकाम

Edited By kirti, Updated: 16 Jun, 2018 03:20 PM

the police failed to reach the burn

हाथ-पांव मारने के बावजूद पुलिस काले सोने के नाम से कुख्यात चरस के असली जखीरे तक नहीं पहुंच पा रही है। सूचनाएं मिलने के बाद जब नशे की खेप को समेटे हुए किले पर चढ़ाई होती है तो माफिया ठिकाना बदल रहा है। ऐसे में पुलिस के हाथ कुछ नहीं आ रहा है। पुलिस...

कुल्लू : हाथ-पांव मारने के बावजूद पुलिस काले सोने के नाम से कुख्यात चरस के असली जखीरे तक नहीं पहुंच पा रही है। सूचनाएं मिलने के बाद जब नशे की खेप को समेटे हुए किले पर चढ़ाई होती है तो माफिया ठिकाना बदल रहा है। ऐसे में पुलिस के हाथ कुछ नहीं आ रहा है। पुलिस सिर्फ छोटे-मोटे तस्करों तक ही पहुंच पा रही है, जबकि बड़े मगरमच्छ काले सोने के जखीरे पर कुंडली मारकर बैठे हुए हैं। थोड़ी-थोड़ी करके खेप ठिकाने लगाई जा रही है, लेकिन उस खेप के पकड़े जाने की स्थिति माफिया के लिए दूध के घड़े से मक्खी निकालने जैसी ही है। ऑफ सीजन में जिस प्रकार से नशे की खेप इधर से उधर हो रही है, इसके पीछे बड़ा खेल है। हालांकि मौजूदा दौर में भांग की बिजाई का क्रम कई जगह जारी है तो कई जगह बिजाई का काम पूरा हो गया है, ऐसे में भांग के पौधों से चरस निकालने का क्रम सितम्बर में शुरू होगा।


अब थोड़ी-थोड़ी खेप ठिकाने लगाई जा रही
ऐसे में काले सोने की नई खेप के लिए अभी इंतजार बाकी है, लेकिन पुरानी खेप के जखीरे से ही अब थोड़ी-थोड़ी खेप ठिकाने लगाई जा रही है, जिससे काले सोने की कीमत में भी एकाएक उछाल आ गया है। बताया जा रहा है कि मध्यम दर्जे की जो चरस पिछले साल नवम्बर-दिसम्बर तक स्थानीय स्तर पर 30000 रुपए से 70000 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से बिक रही थी, अब वही खेप डेढ़ लाख रुपए प्रतिकिलो तक बिकने लगी है। कीमतों में गिरावट अगस्त-सितम्बर माह में उस समय आएगा, जब नई खेप तैयार होने लगेगी। उछली हुई कीमतों पर बिक रही काले सोने की खेप वह खेप है, जिसे स्टोर करके रखा गया है। स्टोर किए हुए इस जखीरे की तलाश में पुलिस का पसीना निकल रहा है, लेकिन मंजिल तक नहीं पहुंच पा रही है।  
 

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