कब्जाधारियों ने फर्जी कागजों से अफसरों की नाक में किया दम

Edited By Ekta, Updated: 02 Jun, 2019 02:41 PM

the occupants seized fake documents in the nose of officers

अमूमन किसी भी सरकारी रिकॉर्ड की एक से अधिक प्रतियां सहेजी जाती हैं। यदि कहीं कोई रिकार्ड खराब हो जाए या किसी वजह से नष्ट हो जाए तो दूसरी जगह सहेजे गए संबंधित रिकॉर्ड से इसे कॉपी किया जाता है। राजस्व विभाग भी इसी नियम पर कार्य करता है। यदि कोई जमीन...

कुल्लू (ब्यूरो): अमूमन किसी भी सरकारी रिकॉर्ड की एक से अधिक प्रतियां सहेजी जाती हैं। यदि कहीं कोई रिकार्ड खराब हो जाए या किसी वजह से नष्ट हो जाए तो दूसरी जगह सहेजे गए संबंधित रिकॉर्ड से इसे कॉपी किया जाता है। राजस्व विभाग भी इसी नियम पर कार्य करता है। यदि कोई जमीन खरीदता या बेचता है तो उसका रिकॉर्ड एक से अधिक जगह सुरक्षित रखा जाता है। राजस्व विभाग के पास पहले से ऐसा रिकॉर्ड मौजूद है जो यह दर्शाता है कि कहां कितने हिस्से पर जंगल है और कहां सड़क है। कहां-कहां सड़क चौड़ीकरण, कहां किस परियोजना के लिए जमीन अधिगृहीत हुई है। कहां-कहां लोगों ने सरकार को जमीन गिफ्ट की है। यहां तक कि सरकार के किसी विभाग को दान में दी गई जमीन का भी पूरा रिकॉर्ड है। रिकॉर्ड को सहेजने, समेटने व सुरक्षित रखने के लिए अधिकारियों, कर्मचारियों की इतनी बड़ी फौज मौजूद है। तमाम साधन व सुविधाएं हैं। 

इसके बावजूद सरकारी जमीन, वन भूमि, सड़कों पर अवैध कब्जों की भरमार है। अवैध कब्जों की भरमार व्यवस्था के पंगुपन को इंगित कर रही है। कई जगह अवैध कब्जाधारियों ने ऐसे फर्जी दस्तावेज तैयार कर रखे हैं जिनसे अफसरों की नाक में दम किया हुआ है। प्रशासन, अधिकारियों व विभागों के पास किसी रिकॉर्ड की आधा दर्जन से अधिक प्रतियां सुरक्षित व मौजूद होने के बावजूद अवैध कब्जाधारी किसी एक फर्जी कागज के दम पर ही सरकारी योजनाओं की रफ्तार को रोक रहे हैं। यह भी चर्चा है कि कब्जाधारियों की फर्जी कागजात तैयार करने में व्यवस्था से जुड़े कुछ लोग ही मदद करते हैं। कई जगह सरकारी विभागों से सेवानिवृत्त हुए लोग भी फर्जी कागजात तैयार करवाने में मददगार बताए जा रहे हैं। हालांकि जानकार बताते हैं कि फर्जी कागजात ज्यादा देर तक टिक नहीं पाते। यह जरूर है कि अवैध कब्जाधारी कुछ समय के लिए इन फर्जी दस्तावेजों के दम पर बचे रह सकते हैं।

कई मामले आए सामने

कुल्लू में वन, लोक निर्माण विभाग व अन्य महकमों के समक्ष कई ऐसे मामले आए जिनमें विभाग अपनी जमीन को ढूंढते हुए पहुंचे। राजस्व रिकार्ड में जमीन के मालिक संबंधित महकमे हैं लेकिन मौके पर अवैध कब्जाधारी कुंडली मारकर बैठे हुए हैं। जब इन्हें हटने के लिए कहते हैं तो कब्जाधारी आंखें दिखाने लगते हैं। इस वजह से सरकार के कई प्रोजैक्ट लटके पड़े हैं। तमाम दस्तावेज कब्जाधारियों के विरुद्ध हैं लेकिन एक फर्जी कागज के दम पर कब्जाधारी लड़ाई को घसीटने में लगे हुए हैं। कुल्लू के बुद्धिजीवियों में सेसराम ठाकुर, लाल चंद शर्मा, खुशहाल सिंह ठाकुर, मस्त राम पुरोहित, पुष्पेंद्र शर्मा, जितेंद्र ठाकुर व चंद्रशेखर आदि ने कहा कि ऐसे लोग अधिकारियों को ही नहीं बल्कि न्यायिक व्यवस्था को भी गुमराह कर रहे हैं। सरकारी योजनाओं को लटका कर एक तो लोगों को सुविधाओं से वंचित कर रहे हैं और दूसरा फर्जीवाड़ा करके अपराध कर रहे हैं, ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है।
 

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