Edited By Ekta, Updated: 20 Sep, 2019 02:57 PM
हिमाचल सोशल मीडिया एवं आईटी विभाग के प्रमुख अभिषेक राणा ने कहा है कि अपने हरेक कार्यकाल में सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों का शोषण करने के लिए भाजपा सरकारें हमेशा याद की जाएंगी। इसकी शुरूआत वर्ष 2003 में केंद्र की तत्कालीन एनडीए सरकार ने...
हमीरपुर: हिमाचल सोशल मीडिया एवं आईटी विभाग के प्रमुख अभिषेक राणा ने कहा है कि अपने हरेक कार्यकाल में सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों का शोषण करने के लिए भाजपा सरकारें हमेशा याद की जाएंगी। इसकी शुरूआत वर्ष 2003 में केंद्र की तत्कालीन एनडीए सरकार ने कर्मचारियों को धोखा देते हुए पैंशन बंद करने से की थी। जारी प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने कहा कि पहले प्राइवेट सेक्टर में ही कर्मचारियों का शोषण सुनने को मिलता था लेकिन अब सरकारी क्षेत्र में कर्मचारियों के शोषण करने की प्रथा भी भाजपा सरकार ने शुरू कर दी है।
प्रदेश सरकार ने चुनावों के समय किए अपने वायदे से पलटते हुए आऊटसोर्स कर्मचारियों के लिए कोई भी पाॅलिसी बनाने से इंकार कर इस वर्ग से दगा किया है, क्योंकि आऊटसोर्स पर कर्मचारियों का शोषण हो रहा है। केंद्र सरकार के तय किए न्यूनतम मासिक वेतन देने के निर्देशों की उल्लंघना करते हुए 3 से 5 हजार रुपए मासिक दिया जा रहा है। जिससे चंद ठेकेदारों की जेबें ही भरी जा रही हैं। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि भाजपा सरकार पहली बार ऐसा नहीं कर रही है, जबकि सत्ता में आने के बाद हर कर्मचारियों का शोषण व प्रताड़ित ही करती आई है।
उन्होंने याद दिलाया कि वर्ष 2007 में भाजपा की तत्कालीन धूमल सरकार ने प्रदेश में 8 साल के अनुबंध कार्यकाल पर कर्मचारियों की नियुक्ति करने का निर्णय लिया था, लेकिन वीरभद्र सरकार ने सत्ता में आने के बाद वर्ष 2014 में कर्मचारियों का अनुबंध कार्यकाल 5 साल तथा वर्ष 2016 में इसे घटाकर 3 साल कर दिया था। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकारें सत्ता में आने की छपछपाहट में जनता से वायदे तो कर लेते हैं, लेकिन सत्ता के नशे में उन्हीं वर्गों का शोषण करने में वक्त गंवा देते हैं। उन्होंने वर्तमान प्रदेश भाजपा सरकार से आग्रह किया कि अपनी पूर्व भाजपा सरकारों की परंपरा का त्याग कर कर्मचारी हित में फैसले लें और आऊटसोर्स कर्मचारियों के लिए ठोस पाॅलिसी बनाकर पूर्व भाजपा सरकारों द्वारा लिए कर्मचारी विरोधी निर्णयों से भी मुक्ति पाएं।