नववर्ष के पहले दिन मां शूलिनी के दरबार उमड़ा आस्था का सैलाब, भक्तों ने कतारों में किए दर्शन

Edited By Vijay, Updated: 01 Jan, 2020 04:20 PM

the court of mother shoolini rose of faith on first day of new year

मां शूलिनी के दरबार में नए साल के पहले दिन सैंकड़ों भक्त हाजिरी भरने पहुंचे। दरबार में सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलीं। अपनी बारी के इंतजार में घंटों कतारबद्ध खड़े देखे गए। शूलिनी मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगनी शुरू हो गई...

सोलन (नरेश पाल): मां शूलिनी के दरबार में नए साल के पहले दिन सैंकड़ों भक्त हाजिरी भरने पहुंचे। दरबार में सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलीं। अपनी बारी के इंतजार में घंटों कतारबद्ध खड़े देखे गए। शूलिनी मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगनी शुरू हो गई थी जो बाद में लंबी कतार में बदल गई। नए साल के पहले दिन स्थानीय सहित बाहरी राज्यों के सैंकड़ों लोगों ने मां के दर्शन किए। इस दौरान लोगों ने नए वर्ष की शुभकामनाओं के लिए मां से आशीर्वाद लिया। बता दें कि शूलिनी देवी सोलन सहित आसपास के क्षेत्र की कुलदेवी हैं। नववर्ष को लेकर जिला सोलन का शूलिनी मंदिर दुल्हन की तरह सजाया गया है।
PunjabKesari, Mata Shoolini Temple Image

मां के मंदिर में चढ़ती है पहली फसल

मां के मंदिर में स्थानीय लोगों सहित किसानों की ओर से उगाई गई फसल के तैयार होने के बाद यहां पर सबसे पहले फसल को चढ़ाया जाता है, जिसके बाद लोग स्वयं अपनी फसलों का सेवन करते हैं। इसी तरह गाय के दूध, घी को भी पहले मां शूलिनी को चढ़ाया जाता है। लोगों ने नए वर्ष पर अपनी फसलों, स्वास्थ्य सहित शांति प्रदान करने लिए पूजा-अर्चना भी की।
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बघाट रियासत की कुलदेवी हैं मां शूलिनी

मां शूलिनी बघाट रियासत के शासकों की कुल श्रेष्ठा देवी मानी जाती हैं। वर्तमान में माता शूलिनी का मंदिर सोलन शहर के दक्षिण में विद्यमान है। इस मंदिर में माता शूलिनी के अतिरिक्त शिरगुल देवता, माली देवता इत्यादि की प्रतिमाएं मौजूद हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार माता शूलिनी 7 बहनों में से एक हैं। अन्य बहनें हिंगलाज देवी, जेठी ज्वाला जी, लुगासना देवी, नैना देवी और तारा देवी के नाम से विख्यात हैं। माता शूलिनी देवी के नाम से सोलन शहर का नामकरण हुआ था जोकि मां शूलिनी की अपार कृपा से दिन-प्रतिदिन समृद्धि की ओर अग्रसर हो रहा है।
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बघाट रियासत की राजधानी था सोलन नगर

सोलन नगर बघाट रियासत की राजधानी हुआ करता था। इस रियासत की नींव राजा बिजली देव ने रखी थी। बारह घाटों से मिलकर बनने वाली बघाट रियासत का क्षेत्रफल 36 वर्ग मील में फैला हुआ था। इस रियासत की प्रारंभ में राजधानी जौणाजी, तदोपरांत कोटी और बाद में सोलन बनी। राजा दुर्गा सिंह इस रियासत के अंतिम शासक थे।
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यह है मान्यता

मान्यता है कि माता शूलिनी के प्रसन्न होने पर क्षेत्र में किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा या महामारी का प्रकोप नहीं होता है बल्कि सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। इसके तहत काफी समय से मां शूलिनी के नाम पर सोलन में मेला भी आयोजित किया जाता है। यह मेला जहां जनमानस की भावनाओं से जुड़ा है, वहीं पर विशेषकर ग्रामीण लोगों को मेले में आपसी मिलने-जुलने का अवसर मिलता है। इससे लोगों में आपसी भाईचारा, राष्ट्र की एकता और अखंडता की भावना पैदा होती है।

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