युवा DC के हाथ में सिरमौर की कमान, हर फाइल पर हो रही कार्रवाई

Edited By Punjab Kesari, Updated: 12 Jan, 2018 01:31 AM

the command of sirmour in the hands of young dc  action on every file

जिला सिरमौर के अब दिन फिरने वाले हैं, जिला को एक बार फिर से युवा और जुझारू डी.सी. मिला है।

नाहन: जिला सिरमौर के अब दिन फिरने वाले हैं, जिला को एक बार फिर से युवा और जुझारू डी.सी. मिला है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहली बार डी.सी. पद पर विराजमान हुए पंजाब के खरड़ निवासी पंजाब केसरी समाचार पत्र के पत्रकार शशिपाल जैन के बेटे ललित जैन ने यहां सुधार कार्यों को बढ़ावा देने के लिए कमर कस ली है और लगातार अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं। हालांकि डी.सी. जैसा पद काफी जिम्मेदारी का रहता है, इसे युवा को दिया सरकार का विश्वास भी है, ऐसे में उन पर अब ओर अधिक जिम्मेदारी बढ़ गई है। हालांकि जीवन में शुरूआत से ही उन्होंने कड़ा परिश्रम किया है और चुनौतियों का डटकर सामना करते हुए आज वह इस पद तक पहुंचे हैं। इससे पूर्व जैन सोलन जिला के बद्दी में खनन माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के बाद सुर्खियों में रहे थे व कांगड़ा के धर्मशाला में वह बतौर नगर निगम आयुक्त अपनी सेवाएं दे चुके हैं। पेश हैं उनसे खास बातचीत के कुछ मुख्य अंश :-

जीवन में किस प्रकार चुनौतियों का सामना किया?
मध्ययम वर्गीय परिवार होने के चलते जीवन में बचपन से ही चुनौतियां रहीं लेकिन हार नहीं मानी। पिता पंजाब केसरी समाचार पत्र में 20 सालों से सेवाएं दे रहे हैं। कुछ समय बाद आर्थिकी सुधार होने के बाद पंजाब विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी की। उस समय सड़कों की हालत सही नहीं थी, जिसके चलते गांव से विश्वविद्यालय तक पहुंचने में भारी समय लग जाता था, लेकिन आज स्थिति बदल गई है। पढ़ाई पूरी होने के बाद अपने लक्ष्य को हासिल करने में जुट गया। 

अपने जीवन में आदर्श किसे मानते हैं?
किसी के भी जीवन में सबसे बड़ा आदर्श उसके माता-पिता होते हैं, जिनके साये में बचपन से जीवन भर बच्चा कुछ न कुछ सीखता है, उसी प्रकार मेरे जीवन में भी माता-पिता मेरे आदर्श हैं। आज जो भी हूं उन्हीं की बदौलत हूं। इसके अलावा आई.सी.एस. ऑफिसर डा. महेंद्र सिंह के जीवन व संघर्ष से प्रभावित हूं, उनसे हर बार आगे बढऩे की प्रेरणा मिली।

आई.ए.एस. की परीक्षा के लिए कितना संघर्ष किया?
बचपन से ही प्रशासनिक सेवाओं में जाकर देश सेवा का सपना रहा है। यहां सेवा देकर अधिकारी आम लोगों के लिए बहुत कुछ कर सकता है। सपने को पूरा करने के लिए प्रतिदिन 8 से 9 घंटे तक पढ़ाई की है। 2 बार आई.ए.एस. की परीक्षाओं में फेल भी हुआ, लेकिन हार नहीं मानी और तीसरी बार 41वां रैंक लेकर अपने सपने को पूरा किया।

आपने इससे पूर्व बतौर पत्रकार भी सेवाएं दी हैं। पत्रकारिता व प्रशासनिक अधिकारी में क्या अंतर देखते हैं?
मैंने कुछ समय एक दैनिक अंग्रेजी समाचार पत्र में बतौर स्टींगर अपनी सेवाएं दी हैं। पत्रकार व अधिकारी दोनों के पास कलम होती है। पत्रकार अपनी कलम से समाज की समस्याओं को उठाता है, लेकिन समस्याओं के समाधान के लिए उसे किसी ओर की तरफ देखना पड़ता है लेकिन एक आई.ए.एस. अधिकारी के पास कलम के साथ-साथ सामने आई लोगों की समस्याओं को उठाने व उन्हें हल करने की शक्ति होती है। अब डी.सी. पद पर होते हुए जमकर जिला के लोगों के लिए सेवा की जाएगी।

डी.सी. पद रहते हुए किसे सबसे बड़ी चुनौती मानते हैं?
किसी भी आई.ए.एस. अधिकारी को अपने जीवन काल में डी.सी. का पद कम नहीं है। डी.सी. को न केवल अपने बल्कि अन्य सभी विभागों की कार्यप्रणाली की जानकारी मिलती है जोकि आगे जीवन में उनके बड़े काम आती है, ऐसे में कोई खास चुनौती नहीं लेकिन आम लोगों को सुविधा मिले इसकी पूरी-पूरी कोशिश होगी। 

अक्सर देखने में आता है कि अधिकारी फाइल वर्क से कतराते हैं और फाइलें दबा कर बैठ जाते हैं, ऐसे में कोई खास प्लान?
यह सही है कि कुछ अधिकारी फाइल वर्क से कतराते हैं लेकिन मेरे पास जो भी फाइल आ रही है उस पर कार्रवाई की जा रही है। इसके अलावा कर्मियों पर अधिकारियों को लगातार निर्देश भी दिए जा रहे हैं। डिजीटल काम को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि लोगों की समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान हो सके। इसके अलावा अधिकारियों की भी जवाबदेही हो सके। 

सिरमौर के लिए मास्टर प्लान क्या होगा?
जिला में आम लोगों के लिए सुविधाओं को बढ़ावा देना व ऐतिहासिक धरोहरों की मुरम्मत के साथ-साथ पर्यटन को बढ़ावा दिया जाना प्राथमिकता होगी। इसके अतिरिक्त जिला की समस्याओं को आलाधिकारियों तक समयबद्ध पहुंचाया जाएगा और ग्रामीण लोगों से मिलने के लिए अलग से समय निकाला जाएगा। 

सिरमौर में डी.सी. जैसा महत्वपूर्ण पद संभालने पर कैसा महसूस कर रहे हैं?
जिला सिरमौर देश का आईना है। यहां हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई, बौद्ध व जैन सभी धर्र्माें के लोग मिलजुल कर रहते हैं। इसके अलावा सिरमौर इतिहास की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, आज भी यहां ऐतिहासिक धरोहरें विद्यमान हैं। जिन पर सभी को गर्व होना चाहिए। इन्हें संजोकर रखना हम सभी की जिम्मेदारी है और इनकी मुरम्मत के लिए लगातार काम किया जाएगा।

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