Edited By Vijay, Updated: 10 Jun, 2018 01:33 AM
नालागढ़ शहर के वार्ड नम्बर-1 में स्थित एक कालोनी में ग्रीनलैंड को बेचकर उस पर कमर्शियल एवं रिहायशी भवन बनाने का मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया है।
बी.बी.एन.: नालागढ़ शहर के वार्ड नम्बर-1 में स्थित एक कालोनी में ग्रीनलैंड को बेचकर उस पर कमर्शियल एवं रिहायशी भवन बनाने का मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया है। करोड़ों रुपए के इस जमीन फर्जीवाड़े को लेकर नालागढ़ के 2 लोगों ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिसको हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया तथा इस मामले में संबंधित विभागों से जवाब तलब किया है। इस मामले को लेकर पहले काफी शिकायतें भी हो चुकी हंै, लेकिन आज तक इसमें कोई कारवाई नहीं हुई है लेकिन अब यह मामला हाईकोर्ट पहुंचने के बाद कइयों पर गाज गिर सकती है।
गलत ढंग से 14 लोगों को बेची जमीन
फर्जीवाड़े के इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले नालागढ़ निवासी गुरमीत सिंह व सतिंद्र कुमार अवस्थी ने बताया कि नालागढ़ के वार्ड नम्बर एक में 1990 में टी.सी.पी. विभाग से रिहायशी कालोनी स्वीकृत हुई थी, जिसमें सीवरेज सैप्टिक टैंक व ग्रीन पार्क आदि के लिए जो करीब 2900 वर्ग मीटर जगह आरक्षित की गई थी, उस जमीन को गलत ढंग से 14 लोगों को बेच दिया गया था, जबकि यह जमीन सरकार को मिलनी थी। मूलभूत सुविधाओं के लिए छोड़ी गई यह जमीन पहले तो गलत ढंग से बेच दी गई और फिर संबंधित विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों ने कायदे कानूनों को दरकिनार करके भवन बनाने के नक्शे पास कर दिए थे, जिससे जहां पर सीवरेज सैप्टिक टैंक, पार्क आदि की जगह पर निजी भवन बन गए हैं, वहीं पर सरकार को करोड़ों रुपए का चुना भी लगाया गया है। यही नहीं इस जमीन का लैंड यूज चेंज व उपविभाजन भी गलत ढंग से किया गया। एस.डी.एम. नालागढ़ प्रशांत देष्टा ने बताया कि इस मामले की जांच तहसीलदार द्वारा की जा रही है।
ये हैं नियम
टी.सी.पी. नियमानुसार जब भी कोई कालोनी स्वीकृत होती है, तो उसमें मूलभूत सुविधाओं के लिए छोड़ी गई जमीन की गिफ्ट डीड सरकार की स्थानीय विकास एजैंसी के नाम पर होती है। यानी वह जमीन सरकार के नाम पर हो जाती है, लेकिन इस कालोनी में तो सरकारी तंत्र की मिलीभगत से सरकार को मिलने वाली जमीन पर निजी भवन बन गए।