ये बैंक कर्मचारियों को देने के बजाए वापस ले रहा बोनस, जानिए क्यों

Edited By Ekta, Updated: 02 Nov, 2018 02:46 PM

the bank withdrawing it instead of giving it to the employees

एक ओर जहां दिवाली के अवसर पर हर कोई कंपनी या फिर बैंक अपने कर्मचारियों को बोनस का तोहफा दे रही है तो वहीं कांगड़ा का केंद्रीय सहकारी बैंक भी है जो कर्मचारियों से बोनस की रिकवरी कर रहा है। जी हां, चौंकिए मत यह बिल्कुल सच है। बैंक के मुलाजिमों से...

धर्मशाला (नृपजीत निप्पी): एक ओर जहां दिवाली के अवसर पर हर कोई कंपनी या फिर बैंक अपने कर्मचारियों को बोनस का तोहफा दे रही है तो वहीं कांगड़ा का केंद्रीय सहकारी बैंक भी है जो कर्मचारियों से बोनस की रिकवरी कर रहा है। जी हां, चौंकिए मत यह बिल्कुल सच है। बैंक के मुलाजिमों से पिछले साल दिए बोनस में से 42 फीसदी वापस लिया जा रहा है। यह बोनस ऑडिट रिपोर्ट में सामने आई थी गड़बड़ी का हवाला देकर वापस मांगा जा रहा है। केसीसी बैंक एमडी केके सरोच ने बताया कि कर्मचारियों को बोनस बैंक के नेट प्राफिट पर देना था लेकिन पिछले वर्ष एक्स ग्रेशिया ग्रास प्राफिट पर दे दिया था।

उन्होंने कहा कि आडिट रिपोर्ट में इस गड़बड़ी का पता चला है। जिसके बाद अब कर्मचारियों से ज्यादा दिए गए एक्स ग्रेशिया की रिकवरी हो रही है। दरअसल बैंक ने 1200 क्लर्क से लेकर अफसरों तक को वर्ष 2017 में साढ़े चार करोड़ रूपए बोनस के तौर पर एक्स ग्रेशिया दिया था, इसमें से अब 1.92 करोड़ रुपए के बोनस की बैंक प्रबंधन ने रिकवरी के लिए कर्मचारियों को नोटिस भेजे हैं। कांगड़ा केन्द्रीय सहकारी बैंक कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष शरत रलहान ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि बैक प्रबंधन शुरू से ही ग्रास प्राफिट के तहत एक्स ग्रेशिया कर्मचारियों को देता आया है। उन्होंने कहा कि नेट प्राफिट पर बोनस देने से कर्मचारियों को डबल टैक्स देना पड़ेगा और बोनस हमेशा ग्रास प्राफिट पर दिया जाता है। 

वहीं कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि शायद यह हिन्दुस्तान में पहला उदाहरण होगा जहां पर दिया हुआ एक्स ग्रेशिया और बोनस वापिस लिया जा रहा है। यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि अगर प्रबंधन ने बोनस के तौर पर कोई गलत चीज दी है तो वो बोनस से ही रिकवर होगी ना की सेलरी से। बोनस वापस लेने के फैसले के बाद अब कांगड़ा केन्द्रीय सहकारी बैंक से नया विवाद जुड़ गया है। इससे पहले गलत लोन बांटने को लेकर भी केसीसी बैंक पर सवाल उठ चुके हैं। वहीं अब रिकवरी पर सवाल उठ रहे हैं कि ज्यादा बोनस देने की गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई? सवाल यह भी कि बैंक प्रबंधन की गलती का खामियाजा कर्मचारी क्यों भुगतें ? खैर देखना होगा कि अब इस संबंध में बैंक कर्चमारी क्या रणनीति अख्तियार करते हैं। 
 

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