सदन में गूंजा बंदरों व जंगली जानवरों के आतंक का मामला

Edited By Punjab Kesari, Updated: 08 Mar, 2018 10:58 PM

terror case of monkeys and wild animals echo in assembly session

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में वीरवार को बंदरों और जंगली जानवरों के आतंक का मामला गंूजा। गैर-सरकारी सदस्य कार्यदिवस के तहत विधायक अनिरुद्ध सिंह ने सदन में बंदरों द्वारा किसानों व बागवानों की फसलों को पहुंचाए जाने वाले नुक्सान बारे ठोस नीति बनाने का...

शिमला (राक्टा): हिमाचल प्रदेश विधानसभा में वीरवार को बंदरों और जंगली जानवरों के आतंक का मामला गंूजा। गैर-सरकारी सदस्य कार्यदिवस के तहत विधायक अनिरुद्ध सिंह ने सदन में बंदरों द्वारा किसानों व बागवानों की फसलों को पहुंचाए जाने वाले नुक्सान बारे ठोस नीति बनाने का मामला उठाया। इस पर हुई चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने सरकार से इस समस्या के स्थायी समाधान को लेकर ठोस व कारगर नीति बनाने की मांग उठाई। विधायक ने संकल्प प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले 10 साल में बंदरों के आतंक को कम करने के लिए सरकारों ने कई कार्य किए। कई योजनाएं तैयार की गईं लेकिन योजनाओं के सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए। उन्होंने बंदरों की नसबंदी पर सवाल उठाते हुए कहा कि पिछले 10 साल में बंदरों की नसबंदी हुई है, वह विफल साबित हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार टीमें बनाकर बंदरों को मारने के लिए तैयार करे ताकि लोगों को होने वाली असुविधा से निपटा जा सके। 

किसानों व बागवानों को होने वाले नुक्सान पर दिया जाए मुआवजा
उन्होंने बंदरों के आतंक से किसानों व बागवानों को होने वाले नुक्सान पर भी मुआवजा देने का प्रावधान करने की मांग उठाई। विधायक कर्नल इंद्र सिंह ने चर्चा में भाग लेते सुझाव देते हुए कहा कि यदि संभव हो सके तो सरकार मनरेगा के तहत रखवाला रखने की व्यवस्था करे। उन्होंने कहा कि लोगों को बंदरों को खाना न डालने के लिए जागरूक करने का अभियान चलाए। यदि संभव हो तो बंदरों से बचाव के लिए लंगूरों को वहां पर रखा जाए। उन्होंने बंदरों की नसबंदी में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए टास्क फोर्स के गठन का सुझाव दिया। विधायक सुरेश कश्यप ने भी बंदरों की समस्या पर चिंता जताई और कहा कि इसके समाधान के लिए ठोस नीति बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बंदरों का आतंक इसलिए भी गंभीर है क्योंकि फसलों के अलावा इन्होंने लोगों विशेषकर बच्चों को भी काटना शुरू कर दिया है।

नसबंदी केंद्र से आधी रात को भरकर ग्रामीण इलाकों में छोड़े जा रहे बंदर 
विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि बंदरों की समस्या बेहद चिंताजनक है और इस पर ठोस नीति बनाई जाए। उन्होंने कहा कि हमीरपुर के फसल बहुल इलाकों में भी बंदर पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि हमीरपुर में खुले बंदर नसबंदी केंद्र से आधी रात को भरकर बंदरों को ग्रामीण इलाकों में छोड़ा जा रहा है। विधायक विक्रम जरयाल ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि प्रदेश के 80 फीसदी किसान-बागवान बंदरों की समस्या से प्रभावित हैं और इन्हें राहत देने के लिए स्थायी नीति बनाने की जरूरत है। विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि यह एक गंभीर मसला है और मुख्यमंत्री को इसके समाधान के लिए जल्द पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा और बातें काफी हुईं लेकिन हकीकत कुछ और ही है। सदन में उठाए गए इस मामले पर संबंधित विभाग के मंत्री द्वारा 5 अप्रैल को जवाब दिया जाएगा।

किसानों-बागवानों की समस्याओं को करना होगा आंदोलन 
विधायक ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि बंदरों और जंगली जानवरों की समस्या अब समस्या न रहकर बीमारी बन गई है। उन्होंने कहा कि बंदर फसलों को नष्ट न करंे, उसके लिए उचित हल निकालना होगा। उन्होंने कहा कि जब राम मंदिर के लिए आंदोलन करते हैं तो किसानों एवं बागवानों की समस्या के लिए भी आंदोलन करना होगा। उन्होंने कहा कि किसान एक तरफ फसल की बुआई करते हैं और दूसरी तरफ बंदर उसी बीज को खा जाते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा होने से  किसानों की मेहनत पर पानी फिर रहा है तथा किसान खेतीबाड़ी को छोड़ रहे हैं। 

आम आदमी भी महसूस कर रहा असुरक्षित
विधायक नरेंद्र ठाकुर ने कहा कि बंदरों के आतंक से आम आदमी भी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। शिमला हो या हमीरपुर, प्रदेश के अधिकांश जिलों में बंदरों का आतंक है। उन्होंने पूर्व सरकार द्वारा चलाई गई नसबंदी नीति सहित बंदरों को पकडऩे की योजना पर सवाल खड़े किए। नरेंद्र ठाकुर ने कहा कि पूर्व सरकार ने कहा था कि प्रदेश में 2 लाख 7 हजार 614 बंदरों में से एक लाख 25 हजार 260 बंदरों की नसबंदी हुई, लेकिन बाद में सर्वे हुआ तो बंदरों की संख्या में और बढ़ौतरी हुई। 

पंचायत स्तर पर योजना करें तैयार
विधायक जगत सिंह नेगी ने सरकार को हर पंचायत स्तर पर बंदरों को मारने के लिए योजना बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि पंचायतवासी और होमगार्ड के प्रशिक्षित गार्ड को शामिल कर बंदरों को मारने पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस कदम से होमगार्ड जवानों को रोजगार भी मिलेगा और बंदरों की समस्या भी काफी हद तक कम होगी। नेगी ने कहा कि केंद्र सरकार ने बंदरों को बर्मिन घोषित कर रखा है, ऐसे में सरकार को जल्द से जल्द बंदरों की कलिंग पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए।   

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!