टैक्नीकल रिपोर्ट के बाद स्थानांतरित होंगे कहलूर रियासत के जलमग्न मंदिर

Edited By Vijay, Updated: 25 Feb, 2020 03:39 PM

temple in gobind sagar lake

भाखड़ा बांध बनने के बाद 60 के दशक में अस्तित्व में आई गोबिंद सागर झील में जलमग्न हुए कहलूर रियासत के मंदिरों को पुनस्र्थापित करने की जिला प्रशासन की योजना के मई व जून में सिरे चढऩे की संभावना है। जानकारी के अनुसार मौजूदा समय गोबिंद सागर झील का...

बिलासपुर (ब्यूरो): भाखड़ा बांध बनने के बाद 60 के दशक में अस्तित्व में आई गोबिंद सागर झील में जलमग्न हुए कहलूर रियासत के मंदिरों को पुनस्र्थापित करने की जिला प्रशासन की योजना के मई व जून में सिरे चढऩे की संभावना है। जानकारी के अनुसार मौजूदा समय गोबिंद सागर झील का जलस्तर कम हो रहा है तथा मंदिर भी पानी से बाहर आने लगे हैं लेकिन दलदल होने के कारण मंदिरों तक पहुंचना मुश्किल है, ऐसे में जिला प्रशासन दलदल के पूरी तरह से सूखने का इंतजार करेगा। जैसे ही दलदल सूख जाएगी, जिला प्रशासन द्वारा चयनित की गई इंडियन ट्रस्ट फॉर रूरल हैरिटेज एंड डिवैल्पमैंट नई दिल्ली व दे डिजाइन एजैंसी जयपुर की टीमों को सूचना दी जाएगी। जिला प्रशासन से सूचना मिलने के बाद संबंधित एजैंसियां इन मंदिरों का निरीक्षण करेंगी और अपनी-अपनी टैक्नीकल रिपोर्ट सौंपेंगी। उसके बाद भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा किसी एक एजैंसी को मंदिरों को स्थानांतरित करने का कार्य सौंपा जाएगा।

जून, 2019 में भी किया था निरीक्षण

जानकारी के मुताबिक संबंधित एजैंसियों ने जून 2019 में भी इन मंदिरों का निरीक्षण किया था तथा अपनी-अपनी रिपोर्ट भाषा एवं संस्कृति विभाग को सौंपी थी। इसके बाद इन एजैंसियों ने अपनी-अपनी प्रैजैंटेशन भी विभाग को दे दी थी। बताते चलें कि पिछले कई वर्षों से गोबिंद सागर झील में जलमग्न हुए इन मंदिरों को दूसरी जगह पुनस्र्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है लेकिन यह योजना अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाई है। गत 29 व 30 जून को भाषा एवं संस्कृति विभाग व जिला प्रशासन के प्रयासों से इंडियन ट्रस्ट फॉर रूरल हैरिटेज एंड डिवैल्पमैंट नई दिल्ली के 5 सदस्यीय दल व दे डिजाइन एजैंसी जयपुर के एक सदस्य ने इन जलमग्र मंदिरों व चिह्नित मंदिरों का निरीक्षण किया था। इन सदस्यों ने जलमग्र मंदिरों की फोटोग्राफी सहित इनके इतिहास की पूरी जानकारी ली है तथा हनुमान टिल्ला के पास जिला प्रशासन द्वारा चयनित जमीन का निरीक्षण भी किया था।

भाखड़ा बांध बनने से जलमग्न हुए थे मंदिर

भाखड़ा बांध बनने के कारण अस्तित्व में आई गोङ्क्षबदसागर झील में न केवल बिलासपुर शहर जलमग्र हो गया था बल्कि कहलूर रियासत काल के कई प्राचीन मंदिर भी जलमग्र हो गए थे। मौजूदा समय केवल 8 मंदिर ही शेष बचे हैं जिन्हें विभाग उसी शैली में दूसरी जगह पुनस्र्थापित करना चाहता है। इसके लिए विभाग ने बिलासपुर शहर के पास हनुमान टिल्ला में जमीन भी चिह्नित कर रखी है। हनुमान टिल्ला के पास हैरीटैज पार्क बनाए जाने की योजना है। यहां पर हैरीटैज पार्क बनने से न केवल पर्यटकों को कहलूर रियासत के इन मंदिरों को देखने को मिलेगा बल्कि बिलासपुर की नई पीढ़ी को भी कहलूर रियासत की जानकारी मिलेगी। इससे बिलासपुर में पर्यटन व्यवसाय बढ़ेगा।

दोनों एजैंसियों ने रिपोर्ट सौंपने के साथ दी प्रैजैंटैशन

जिला भाषा अधिकारी नीलम चंदेल ने बताया कि दिल्ली व जयपुर से आए दोनों एजैंसियों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट सौंपने के साथ ही प्रैजैंटैशन भी दे दी है। झील का जलस्तर कम होते ही संबंधित एजैंसियों की टीम दोबारा से इन मंदिरों का सर्वेक्षण करेगी और उसके बाद जो भी एजैंसी विभागीय शर्तों को पूरा करेगी। उसे इन जलमगन मंदिरों के पुनस्र्थापन का कार्य सौंप दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि दोनों एजैंसियों ने इन मंदिरों को स्थानांतरित करने के लिए हामी भर दी है। टैक्नीकल रिपोर्ट आने के बाद ही आगामी प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

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