विभाग व प्रशासन को तरस न आया, शिक्षकों ने खुद पानी का मटका कंधों पर उठाया

Edited By Vijay, Updated: 15 Mar, 2019 09:23 PM

teachers themselves raised the water pot on the shoulders

शिक्षक दिवस पर तो शिक्षकों को बहुत सम्मान दिया जाता है लेकिन एक बच्चे के जीवन में माता-पिता के बाद शिक्षक की कितनी अहमियत होती है, उसके बारे में व इस सम्मान का असल महत्व अगर सीखना है तो इन दिनों जिला हमीरपुर के मिडल स्कूल भौंखर का रुख कीजिए। सादगी...

हमीरपुर: शिक्षक दिवस पर तो शिक्षकों को बहुत सम्मान दिया जाता है लेकिन एक बच्चे के जीवन में माता-पिता के बाद शिक्षक की कितनी अहमियत होती है, उसके बारे में व इस सम्मान का असल महत्व अगर सीखना है तो इन दिनों जिला हमीरपुर के मिडल स्कूल भौंखर का रुख कीजिए। सादगी और संस्कार क्या होते हैं, उससे भी परिचित हो जाएंगे और शिक्षकों को दिल से सलाम भी करेंगे। क्षेत्र में पानी की विकराल समस्या पर जब संबंधित विभाग व प्रशासन चिरनिद्रा से नहीं उठा तो इन दिनों यहां शिक्षक स्वयं ही कंधों पर मटके रखकर बावड़ी से पानी भरकर स्कूल पहुंचा रहे हैं। ऐसा इसलिए कि स्कूल में इन दिनों बच्चों की वार्षिक परीक्षाएं लगी हुई हैं और मिड-डे मील अलग से, ऐसे में सरकारी अव्यवस्था व पंगु कार्यप्रणाली से लडऩे के बाद जब कुछ नहीं बना तो शिक्षकों ने स्वयं ही इस समस्या का समाधान करने की ठान ली।

15 दिनों से स्कूल में पेयजल की सप्लाई बाधित

पिछले 15 दिनों से स्कूल में पेयजल की सप्लाई बाधित है। स्कूल प्रशासन ने कई बार संबंधित विभाग के अधिकारियों से कई बार फोन पर शिकायत भी की लेकिन कोई हल नहीं निकला तो लिखित शिकायत भी दे दी, फिर भी शिक्षकों की अर्जी नामंजूर हो गई और विभाग हरकत में नहीं आया। स्कूल प्रबंधन अब सब जगह शिकायत कर थक हार के खुद पानी भरने पर मजबूर हो गया है ताकि स्कूल में रोजमर्रा के काम न रु कें। स्कूल में लगभग 50 बच्चों के लिए खाना बनता है जिसमें पानी न होने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

2 साल से चली है समस्या

मिडल स्कूल के साथ ही प्राथमिक पाठशाला तथा आंगनबाड़ी भी इसी समस्या से दो-चार हो रहे हैं। अब तो आलम ये है कि पानी की एक बूंद भी स्कूल की टंकियों में नहीं है। अध्यापक सुबह पहले पानी भरते हैं ताकि स्कूल के काम सुचारू रूप से हो सके, ऐसे में बच्चों की पढ़ाई पर कोई असर न पड़े, इसके लिए अध्यापक पूरा प्रयास कर रहे हैं लेकिन ऐसा कब तक चलता रहेगा, इस पर भी सवाल उठना शुरू हो गए हैं। जानकारी के अनुसार यह पहली बार नहीं हुआ है, बल्कि यह समस्या पिछले 2 सालों से चली आ रही है। स्कूल में पानी के न होते संपूर्ण स्वच्छता अभियान के लक्ष्य को भी पूरा नहीं किया जा सकता।

एक साल से चपरासी का पद भी खाली

बता दें कि स्कूल में पिछले 1 वर्ष से चपरासी का पद भी रिक्त चला हुआ है जिसके चलते भी स्कूल के कार्य बाधित होते हंै जिस कारण सारे काम अध्यापकों को स्वयं ही करने पड़ते हैं। ऊपर से पानी भरने का एक काम और बढऩे से अध्यापक भी परेशान हैं।

क्या बोले विभाग के अधिकारी

आई.पी.एच. मंडल भोरंज के अधिशासी अभियंता ओ.पी. भारद्वाज ने बताया कि समस्या उनके ध्यान में नहीं है। फिर भी अगर ऐसा है तो गलत है। संबंधित अधिकारियों से इसके बारे में पूरी जानकारी लेकर उन्हें तुरंत समस्या का हल करने के निर्देश दे दिए जाएंगे। पानी की समस्या का हल क्यों नहीं हुआ, उसके बारे में भी रिपोर्ट मंगवाई जाएगी।

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