लाखों का टैंक, पानी डालना भूला विभाग

Edited By kirti, Updated: 21 May, 2018 09:57 AM

tanks of millions pouring water forgotten department

सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के बड़सर डिवीजन में विभाग के अधिकारियों द्वारा निर्माण कार्यों में सरकारी धन की फिजूलखर्ची का एक और मामला सामने आया है। ताजा मामला आई.पी.एच. विभाग के बड़सर सबडिवीजन के चकमोह सैक्शन का है जहां विभाग ने लाखों रुपए खर्च...

बड़सर: सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के बड़सर डिवीजन में विभाग के अधिकारियों द्वारा निर्माण कार्यों में सरकारी धन की फिजूलखर्ची का एक और मामला सामने आया है। ताजा मामला आई.पी.एच. विभाग के बड़सर सबडिवीजन के चकमोह सैक्शन का है जहां विभाग ने लाखों रुपए खर्च करके स्टोरेज टैंक का निर्माण तो कर दिया लेकिन अब ऐसी स्थिति है मानो विभाग के अधिकारी इस टैंक में पिछले कई सालों से पानी डालना भूल गए हैं। आलम यह है कि एल.डब्ल्यू.एस.एस. दियोटसिद्ध के तहत रैली पंचायत के बुठाण गांव में लाखों रुपए की लागत से निर्मित इस टैंक में आज दिन तक पानी की एक बूंद तक नहीं डाली गई है जबकि इसे बने हुए लगभग 8 साल का लंबा अरसा बीत चुका है।  इस टैंक के निर्माण के लिए सरकारी खजाने के लाखों रुपए फूंकने के बाद आई.पी.एच. विभाग के किसी भी बड़े से छोटे स्तर के अधिकारी ने इसका प्रयास नहीं किया कि इसको उपयोग में लाकर जनता को इसका लाभ प्रदान किया जा सके। हैरानी की बात है कि इस टैंक का निर्माण हुए लगभग 8 साल का अरसा हो चुका है लेकिन 8 सालों में विभाग के किसी अधिकारी ने ऐसी जहमत नहीं उठाई कि इसमें पानी डालकर इसका सदुपयोग किया जाए। इस टैंक का निर्माण इस मकसद से किया गया था कि बुठाण गांव में पेयजल समस्या का निदान किया जा सके। इस गांव में पेयजल की अक्सर दिक्कत रहती है तथा इसे दूर करने के मकसद से जल भंडारण टैंक का निर्माण किया गया था ताकि जरूरत के वक्त इससे तत्काल सप्लाई की जा सके लेकिन विभाग की लापरवाही जनता पर भारी पड़ रही है तथा टैंक को चालू न करने से इस गांव में पेयजल की समस्या कई सालों से जस की तस बनी हुई है। 

सीधी सप्लाई दी जा रही
लापरवाही की इससे बड़ी मिसाल और क्या हो सकती है कि विभाग ने लाखों रुपए खर्च करके पहले इस टैंक का निर्माण किया फिर उसमें पानी डालने के लिए स्कीम के स्टोरेज टैंक जबली से लेकर बुठाण टैंक तक लगभग 2 किलोमीटर की पाइप लाइन बिछाई गई लेकिन उस लाइन को टैंक में डालने की बजाय विभाग द्वारा टैंक से बाहर ही छोड़ दिया गया। यानी जल भंडारण टैंक और 2 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन पर लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी जनता को इसका लाभ इसलिए नहीं मिल पाया क्योंकि आई.पी.एच. विभाग के अधिकारियों ने सब काम होने के बाद लाइन को टैंक के बाहर लाकर छोड़ दिया। यही नहीं जिस लाइन को टैंक में डालकर पानी को स्टोर किया जाना था उसे टैंक के बाहर से ही सप्लाई लाइन से सीधा जोड़ दिया गया तथा टैंक की बजाय उसी लाइन से सप्लाई की जा रही है। विडंबना यह कि आई.पी.एच. विभाग को पिछले 8 सालों में न तो टैंक में पानी डालने का ख्याल आया और न ही लाइन को टैंक  से जोड़कर पेयजल सप्लाई को बहाल करके लोगों को इसका लाभ पहुंचाने की फुर्सत मिली। 
 

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