Edited By kirti, Updated: 14 Sep, 2018 01:21 PM
वाह री व्यवस्था बच्चों को किराया तो फ्री कर दिया पर बस सुविधाएं नहीं दी। वैसे बच्चों की सुरक्षा खासकर लड़कियों को लेकर बड़े बड़े वायदे किए जाते हैं पर सरकारी स्कूलों के समय पर अगर विभाग स्पैशल बसें भी लगा दे तो बच्चों को आने जाने में दिक्कत ना आए।...
कांगड़ा(अरविंद ठाकुर):वाह री व्यवस्था बच्चों को किराया तो फ्री कर दिया पर बस सुविधाएं नहीं दी। वैसे बच्चों की सुरक्षा खासकर लड़कियों को लेकर बड़े बड़े वायदे किए जाते हैं पर सरकारी स्कूलों के समय पर अगर विभाग स्पैशल बसें भी लगा दे तो बच्चों को आने जाने में दिक्कत ना आए। बच्चों को निगम की बसों में या तो भेड़ बकरियों की तरह जाना पड़ता है या फिर निगम की बसों में चढ़ाया ही नहीं जाता। अगर बस में सवारियां ज्यादा हैं या फिर समय पर बस नहीं है तो बच्चों का क्या कसूर वो अपनी व्यथा किसे सुनाएं।
बच्चे बस में ना चढ़ाने पर स्कूल स्टाफ की बातें सुनें व चढ़ाने पर निगम स्टाफ की। बच्चों ने तो यहां तक कह दिया कि स्कूल स्टाफ तो हमारी समस्या समझ जाते हैं पर निगम कर्मचारी कई बार बदसलूकी करते हैं। वह जानबूझ कर बस को इतनी दूरी पर रोकेंगे कि बच्चे दौड़कर पहुंच ही नहीं पाते और कुछ बच्चे तो वहीं रह जाते हैं। दरअसल बात हो रही संसारपुर टैरेस से तलबाडा सुबह जाने वाली निगम की पहली बस की। जोकि बरनाली में सुबह 8 बजे के करीब पहुंचती है। जिसके बाद अगली आने वाली प्राइवेट बस 9 के बाद पहुंचती है।
सीटों से ज्यादा होती हैं सवारियां
इस निगम की बस में जितनी सीटें हैं उससे लगभग दोगुनी सवारियां होती हैं क्योंकि सुबह स्कूल को जाने वाले बच्चे व उद्योगों में जाने वाले कर्मचारी इसी बस में होते हैं। दो बसों की जगह चल रही एक बस-वहीं निगम की गलती भी कितनी माने क्योंकि इसके बाद चलने वाली प्राइवेट बस पिछले लगभग 2 सालों से बंद पड़ी है व जो उसके बाद प्राइवेट बस आती है उसमें बच्चे व वर्कर देरी से पहुंचते हैं।
कई बार उठाया मुद्दा
वहीं बस न चलने की बात पंजाब केसरी पहले भी कई बार दिखा चुका है। इतना ही नहीं लोगों ने पंचायत के स्तर पर व अपने स्तर पर भी कई बार आवाज उठाई है पर अभी तक कोई हल नहीं हुआ। क्यों हादसों के बाद ही लिया जाता है सबक- संसारपुर टैरेस से डाडासीबा सडक की हालत इतनी खराब है कि सड़क पर कई जगह गहरे गड्ढे हैं जिनसे कभी भी कोई अप्रिय घटना घट सकती है। सुबह जाने वाली बस में इतने बच्चे होते हैं कि कोई भी बडा हादसा हो सकता है। फिर सभी विभाग जांच के आदेश दे देते हैं पर उसपर पहले कार्रवाई नहीं होती।