लोकनृत्य प्रतियोगिता में सूत्रधार कला संगम ने मारी बाजी

Edited By Vijay, Updated: 21 Dec, 2019 09:16 PM

sutradhar kala sangam winner in folk dance competition

भाषा एवं संस्कृति विभाग ने कुल्लू के लाल चंद प्रार्थी कलाकेंद्र में जिला स्तरीय लोकनृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया। इस जिला स्तरीय लोकनृत्य प्रतियोगिता में जिलाभर की 35 टीमों भाग लिया। इस मौके पर पारंपारिक वाद्ययंत्रों की धुन पर पुरातन गीतों की...

कुल्लू (दिलीप): भाषा एवं संस्कृति विभाग ने कुल्लू के लाल चंद प्रार्थी कलाकेंद्र में जिला स्तरीय लोकनृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया। इस जिला स्तरीय लोकनृत्य प्रतियोगिता में जिलाभर की 35 टीमों भाग लिया। इस मौके पर पारंपारिक वाद्ययंत्रों की धुन पर पुरातन गीतों की स्वरलहरियों में कलाकारों ने कुल्लवी वेशभूषा में माहौल को सराबोर कर दिया। प्रतियोगिता में सूत्रधार कला संगम प्रथम, सूर्य सांस्कृतिक दल द्वितीय व डांसिंग ड्रीम अकादमी पतलीकूहल तीसरे स्थान पर रही। इस अवसर पर जिला परिषद सदस्य धनेश्वरी ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। उन्होंने विजेता दलों को सम्मानित भी किया।
PunjabKesari, Folk Dance Competition Image

भाषा विभाग दिलाता है कला संस्कृति व साहित्य को मंच

वहीं भाषा अधिकारी सुनीला ठाकुर ने बताया कि भाषा एवं संस्कृति विभाग कला संस्कृति व साहित्य के क्षेत्र में जीवन लगाने पाले साथियों के लिए मंच प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि विभाग लोक संस्कृति के संरक्षण व संवद्र्धन में अनेक कार्यक्रम कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता में प्रथम आने वाली टीम को पारिश्रमिक के अलावा 25,000, द्वितीय रहने वाली टीम को 20,000 व तृतीय स्थान पर आने वाली टीम को 15,000 रुपए का ईनाम दिया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता में प्रथम आने वाली टीम राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेगी।

कुल्लू में लोक संस्कृति आज भी जिंदा

भाषा अधिकारी ने कहा कि जिला कुल्लू में लोक संस्कृति आज भी जिंदा है और यहां के जर्रे-जर्रे में संस्कृति वास करती है। यहां के हर क्षेत्र में लोग खुशी के मौके पर अपना स्थानीय लोकनृत्य करते हैं और पुरातन गीत व संगीत को भी यहां के लोगों ने संजोकर रखा है। यही कारण है कि आज कुल्लवी नाटी देश-विदेश में अपनी छाप छोड़ चुकी है। गीत व नृत्यों के साथ यहां के वाद्ययंत्रों की धुन भी मधुर है। उन्होंने कहा कि यहां के कण-कण में लोकगीत व लोक नृत्य बसता है। उन्होंने कहा कि यहां की कला संस्कृति को बचाने व बचाए रखने में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं का भी भरपूर योगदान है।

भाषा एवं संस्कृति विभाग का सराहनीय कदम

वहीं लोकनृत्य प्रतियोगिता में भाग लेने आई तारा का कहना है कि भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा इस तरह की जो प्रतियोगिताएं करवाई जा रही हैं वह बहुत ही सराहनीय है। ऐसी प्रतियोगिताओं से हमारी पुरातन संस्कृति को बचाए रखने में सहयोग मिलेगा।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!