सुरेश चंदेल बोले-भाजपा छोड़ने का गिला नहीं, कांग्रेस में खुश हूं

Edited By Vijay, Updated: 17 Sep, 2019 04:32 PM

suresh chandel

कभी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार रहे 3 बार के सांसद सुरेश चंदेल को लोकसभा चुनावों के दौरान भगवा दल से 25 साल पुराना नाता तोड़कर कांग्रेस का हाथ थामने का कोई मलाल नहीं है। चंदेल कहते हैं कि कांग्रेस में जाने का निर्णय उनकी राजनीतिक भूल नहीं है।

बिलासपुर: कभी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार रहे 3 बार के सांसद सुरेश चंदेल को लोकसभा चुनावों के दौरान भगवा दल से 25 साल पुराना नाता तोड़कर कांग्रेस का हाथ थामने का कोई मलाल नहीं है। चंदेल कहते हैं कि कांग्रेस में जाने का निर्णय उनकी राजनीतिक भूल नहीं है। पंजाब केसरी के साथ विशेष वार्ता में उन्होंने कहा कि बेशक कांग्रेस लोकसभा चुनाव में पराजित हुई लेकिन अपने फैसले पर किसी भी प्रकार के पश्चाताप का प्रश्न ही पैदा नहीं होता है। उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस में बहुत संतुष्ट और खुश हूं क्योंकि मुझे पार्टी में पूरा मान-सम्मान मिला है। इस अल्प समय में पार्टी ने जो भी उत्तदायित्व दिया, उसे पूरी निष्ठा से निभाया है और आगे भी जो भी दायित्व मिलेगा, उसे निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ूंगा।

मान-सम्मान को चोट पहुंचाने की नीतियों ने मुझे पार्टी छोड़ने पर विवश किया

भाजपा छोड़ने के कारणों को लेकर बिलासपुर जिला के ग्रामीण क्षेत्र बैरी से नाता रखने वाले सुरेेश चंदेल ने कहा कि वास्तव में भाजपा की कार्यप्रणाली और रीति-नीति में बहुत परिवर्तन आ गया है। भाजपा में अब काम करने वालों को महत्व नहीं मिलता। इसे देखकर काफी समय तक बहुत पीड़ा झेलता रहा। अनुभवी व कर्मठ कार्यकर्ताओं के मान-सम्मान को चोट पहुंचाने की नीतियों ने मुझे पार्टी छोड़ने पर विवश कर दिया। आखिर अवहेलना और अपमान झेलने की भी कोई सीमा होती है। यहां तक कि जिस जनसेवा के उद्देश्य से आप पार्टी से जुड़े हों, उसके सभी अवसरों के द्वार आपके लिए बंद कर दिए जाएं तो फिर विकल्प ही क्या रह जाता है। कांग्रेस का ताउम्र डटकर विरोध करने के बाद भी उसी का दामन थामने पर चंदेल ने कहा कि बहुत सोच-विचार के बाद भाजपा से दशकों पुराने संबंध तोड़कर कांग्रेस में शामिल हुआ, ताकि सक्रिय राजनीति में रह कर समाज व देश की सेवा कर सकूं।

टिकट नहीं मिला तो क्या, मान-सम्मान तो मिला

बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का टिकट न मिलने के सवाल पर चंदेल ने कहा कि कांग्रेस में शामिल होने के बाद वह टिकट के लिए आश्वस्त थे, किन्तु अंतिम समय पर उनके पक्ष में निर्णय नहीं लिया गया, लेकिन फिर भी मेरे मान-सम्मान को बनाए रखने का आश्वासन दिया गया है, जो मेरे बार-बार आग्रह पर भी भाजपा में नहीं मिल पाया था। अब कांग्रेस में पूर्णतया संतुष्ट हूं। हालांकि मैं पार्टी में विधायक या सांसद बनने की आकांक्षा लेकर नहीं, बल्कि जनसेवा की आकांक्षा लेकर आया था।

भाजपा ने राष्ट्रवाद का मुद्दा भुनाया

चंदेल ने लोकसभा चुनाव में करारी हार को लेकर कहा कि देश की आॢथक स्थिति बहुत खराब होने तथा जनहित के अन्य कितने ही मोर्चों पर भाजपा सरकार के असफल रहने पर भी लोकसभा चुनाव में बालाकोट पर आक्रामक रुख और राष्ट्रवाद की भावना के मुद्दे को भुनाने में प्रधानमंत्री मोदी सफल रहे। इन 2 मुद्दों के सामने अन्य महत्वपूर्ण विषय लोगों की नजर में गौण हो गए। यही भाजपा की विजय का कारण बना और कांग्रेस के अच्छे उम्मीदवारों को भी सफलता नहीं मिली।

बंबर से मतभेद नहीं, साथ आएं तो भाजपा को दे सकते हैं चुनौती

जिला बिलासपुर कांग्रेस अध्यक्ष बंबर ठाकुर से मनमुटाव को लेकर चंदेल ने कहा कि बंबर ठाकुर से उनके व्यक्तिगत मतभेद नहीं हैं। हालांकि हमने एक-दूसरे के विरुद्ध विधानसभा चुनाव लड़ा है किंतु फील्ड में बंबर के संपर्क की वह सराहना करते हैं। बंबर ठाकुर के अलावा विधायक रामलाल ठाकुर व घुमारवीं के पूर्व विधायक राजेश धर्माणी के साथ मिलकर काम करने को लेकर उन्होंने कहा कि रामलाल ठाकुर सुलझे और वरिष्ठ नेता हैं और राजनीति का उन्हें लंबा अनुभव है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के हम चारों नेता साथ मिलकर रणनीति बनाएं तो बिलासपुर में भाजपा के लिए बड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं।

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