सुप्रीम कोर्ट ने हत्यारे पर नहीं खाया तरस, ये सजा रखी बरकरार

Edited By Punjab Kesari, Updated: 22 Jan, 2018 12:56 AM

supreme court not pity on murderer  this punishment are retained

प्रदेश के जिला कांगड़ा के भवारना थाना के तहत गांव दकरेर के प्रकाश चंद की हत्या के मामले में उच्चतम न्यायालय ने आरोपी हंस राज को उम्रकैद की सजा सुनाई है।

ज्वालामुखी: प्रदेश के जिला कांगड़ा के भवारना थाना के तहत गांव दकरेर के प्रकाश चंद की हत्या के मामले में उच्चतम न्यायालय ने आरोपी हंस राज को उम्रकैद की सजा सुनाई है। गांव दकरेर में घटित इस हत्याकांड में आरोपी हंस राज ने अपने चाचा प्रकाश चंद के सिर पर डंडा मार कर बुरी तरह घायल कर दिया था। हंस राज की पत्नी व प्रकाश चंद की 2 बहुएं भी वहां पर मौजूद थीं, जिसके उपरांत प्रकाश चंद की मौत हो गई थी। घटना के बाद आरोपी ने खुद को कमरे में बंद कर लिया था, जिसे बाद में पुलिस द्वारा दरवाजा तोड़ कर हिरासत में लिया गया था। 

हाईकोर्ट ने बरी कर दिया था आरोपी
धर्मशाला स्थित सैशन न्यायालय ने सुनवाई के बाद आरोपी हंस राज को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। आरोपी द्वारा मामले की अपील प्रदेश उच्च न्यायालय में की गई, जहां पर माननीय न्यायालय ने सैशन न्यायालय के फैसले को पलटते हुए इसे गैर-इरादतन हत्या का मामला बताते हुए आरोपी को बरी कर दिया था। 

राज्य सरकार ने दी थी फैसले को चुनौती
इसके बाद राज्य सरकार ने अतिरिक्त महाधिवक्ता दिनेश कुमार ठाकुर के माध्यम से उच्च न्यायालय के निर्णय को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी, जिसमें न्यायाधीश रंजन गगोई व न्यायाधीश आर. भानुमति की खंडपीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सैशन न्यायालय के निर्णय को कायम रखते हुए आरोपी हंस राज को उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है। खंडपीठ ने माना कि आरोपी ने डंडे से प्रकाश चंद के सिर पर 3 वार किए, जिससे उसका सिर फूट गया व दिमाग बाहर आ गया और यह घटना आरोपी की पत्नी व प्रकाश चंद की बहुओं के सामने हुई तथा आरोपी यह जानता था कि इस तरह मारने से उसकी जान जा सकती है।

पत्नी को पीटने से रोकता था चाचा 
बता दें कि आरोपी अपनी पत्नी को पीटता था, जिसको लेकर उसका चाचा उसे रोकता था और यही रंजिश की वजह बताई जा रही है। उच्चतम न्यायालय की खंडपीठ ने अतिरिक्त महाधिवक्ता दिनेश कुमार ठाकुर की दलीलों को मानते हुए आरोपी हंस राज की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। माननीय खंडपीठ ने आरोपी को सैशन न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण करने के आदेश देते हुए कहा है कि अगर आरोपी ऐसा नहीं करता है तो उसे हिरासत में लिया जाए।

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