Edited By Updated: 29 Nov, 2016 03:40 PM
आखिर मौत को हरा कर इस मासूम ने जिंदगी की जंग जीत ही ली।
बरठीं: आखिर मौत को हरा कर इस मासूम ने जिंदगी की जंग जीत ही ली। हिमाचल के बिलासपुर जिले के 14 वर्षीय शुभम को किडनी मिल ही गई। करीब 6 वर्षों से आई.जी.एम.सी. व फोर्टिज अस्पताल चंडीगढ़ में शुभम का सफल अॉप्रेशन होने के बाद जैसे ही वह अपने घर लंजता पहुंचा तो घर-गांव व क्षेत्र के लोगों में खुशी छा गई। घर पहुंचते ही शुभम ने पत्र लिखकर उसके इलाज के लिए आर्थिक व दिल से सहयोग देने तथा उसे दिल से चाहने वालों का शुक्रिया अदा किया है।
शुभम ने खुशी व्यक्त करते हुए बताया कि विचित्र बात यह रही कि 19 सितम्बर को जिस दिन आप्रेशन कर किडनियों का अदान-प्रदान किया गया उस दिन उसका 14वां जन्मदिन था तथा उसे किडनी देने वाली झारखंड निवासी पूजा का भी उसी दिन 28वां जन्मदिन था। बताते चले कि यह भी संयोग ही था कि चंडीगढ़ के ही एक अस्पताल में जहां शुभम का डायलिसिस होना था, वहीं झारखंड की पूजा भी अपने पति के डायलिसिस के लिए वहां आई थी। बात करते-करते पता चला कि पूजा की किडनी का गु्रप 14 वर्षीय शुभम से मैच करता है तथा शुभम की मां की किडनी का मैच पूजा के पति के साथ करता है।
इसे संयोग कहें या फिर भगवान की मर्जी दोनों पर्टियां किडनी अदान-प्रदान के लिए सहमत हो गई थीं। 6 से 7 महीनों की कागजी औपचारिकताओं तथा शारीरिक टैस्टों के बाद आखिर दोनों मरीजों को जीवनदान मिल गया जिसके पीछे नारी शक्ति की हिम्मत को भी नकारा नहीं जा सकता। गौर रहे कि नवम्बर, 2011 से लेकर 19 सितम्बर, 2016 तक किडनियों के जवाब दे जाने के चलते शुभम जिंदगी की जंग लड़ता हुआ दर्जनों बार डायलिसिस करवा-करवा कर तंग आ चुका था। ऊपर से किडनी मिलने के उपरांत भी भारी-भरकम खर्चे ने मां-बाप व सगे-संबंधियों की रातों की नींद उड़ा दी थी।