जिन स्कूलों संदिग्ध किए है क्वारंटाइन, अब उन्हीं में दाखिले के लिए बुलाए छात्र : राणा

Edited By prashant sharma, Updated: 12 May, 2020 08:58 PM

students called for admission in them rana

सरकार के विवेक का कमाल देखिए कि अब सरकारी स्कूलों के छात्रों को दाखिले के लिए वहां आने का फरमान भेजा गया है, जहां खुद सरकार ने कोरोना के संदिग्ध क्वारंटाइन किए हैं।

हमीरपुर : सरकार के विवेक का कमाल देखिए कि अब सरकारी स्कूलों के छात्रों को दाखिले के लिए वहां आने का फरमान भेजा गया है, जहां खुद सरकार ने कोरोना के संदिग्ध क्वारंटाइन किए हैं। जी हां, यह फरमान सरकारी स्कूल में आम जनता के पढ़ने वाले छात्रों को सुनाया गया है। यह टिप्पणी राज्य कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने सरकार के फैसले पर की है। उन्होंने कहा कि या तो सरकार महामारी की विभीषिका से अनजान है या फिर विश्वव्यापी महामारी की घातकता नहीं समझ पा रही है, या फिर सरकार अफसरशाही की कठपुतली बनकर पूरी तरह उनके फैसलों पर निर्भर हो चुकी है। 

उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में अधिकांश स्कूलों में कोरोना के संदिग्धों को क्वारंटाइन किया गया है। ऐसे में उसी कैंपस में छात्रों को दाखिले के लिए बुलाना कहां तक उचित है? यह तो सरकार ही जानें। लेकिन ईश्वर न करें कि इन क्वारंटाइन सेंटरों में क्वारंटाइन किए गए संदिग्धों में से कोई कोरोना पॉजीटिव हो तो ऐसे में अबोध स्कूली छात्र नाहक ही महामारी की चपेट में आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि अब तक स्कूली छात्रों की पढ़ाई जब ऑनलाइन हो रही है तो दाखिला ऑनलाइन क्यों नहीं हो सकता है? सरकारी स्कूलों में नाममात्र की फीस रहती है, तो ऐसे में बेहतर होता कि सरकार छात्रों व अभिभावकों से दाखिले का आवेदन पत्र मंगवाकर उनकी फीस व अन्य शुल्क ले लेती और दाखिला ऑनलाइन हो जाता। वे बोले कि प्राइवेट स्कूलों की बात अलग है, क्योंकि वहां पर हजारों की फीस होती है। लेकिन सरकारी स्कूलों में छात्रों को दाखिले और फीस के लिए बुलाने की कोई मजबूरी नहीं थी लेकिन सरकार ने फिर भी बिना सोचे समझे यह फैसला लेकर अबोध छात्रों को महामारी के खतरे के मुंह में धकेल दिया। अब सरकार से महामारी के दौर में इन फैसलों को कौन और किस मकसद से करवा रहा है यह तो सरकार ही जानें? लेकिन संदिग्धों को क्वारिंटाइन किए गए स्थलों पर बच्चों को सिर्फ दाख्िले के लिए बुलाना सरकार के फैसले के विवेक पर सवालिया निशान लगा रहा है? 

उन्होंने आग्रह किया है कि अपने आवाम की जान की कीमत समझते हुए सरकार इस फैसले को तुरंत वापिस ले और सभी छात्रों के दाखिले की एप्लिकेशन व्हाट्स ऐप या मेल पर मंगवाकर उनको दाखिला दे और उनकी फीस ऑनलाइन ले और जो ऑनलाइन फीस जमा करवा पाने में असमर्थ हैं उनकी फीस स्थितियां सहज होने के बाद भी ली जा सकती है। लेकिन सरकार इस मामले की गंभीरता को समझे। क्योंकि संदिग्धों को क्वारंटाइन किए गए स्कूलों में उन तमाम फैसिलिटीज शौचालय, पानी, ग्राउंड को संदिग्ध भी प्रयोग कर रहे हैं और ऐसे में कोई संदिग्ध पॉजीटिव निकलता है तो स्कूल में दाख्िले के लिए गया कोई अबोध नाहक ही वायरस की चपेट में आ सकता है।
 

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