Edited By Ekta, Updated: 09 Apr, 2019 04:24 PM
24 मार्च को एचपीयू में हुई छात्र गुटों में मारपीट को लेकर एसएफआई ने आरोप लगाया कि विश्व विद्यालय के अंदर 7 करोड़ रुपए का आउटसोर्स के माध्यम की गई 30 भर्तियों का ठेका भाजपा और आरएसएस के लोगों को दिया गया है। एमसीए के अंदर भी बिना किसी अधिसूचना के...
शिमला (योगराज): 24 मार्च को एचपीयू में हुई छात्र गुटों में मारपीट को लेकर एसएफआई ने आरोप लगाया कि विश्व विद्यालय के अंदर 7 करोड़ रुपए का आउटसोर्स के माध्यम की गई 30 भर्तियों का ठेका भाजपा और आरएसएस के लोगों को दिया गया है। एमसीए के अंदर भी बिना किसी अधिसूचना के पीएचडी में एक छात्रा को दाखिल दिया गया है जिन्हें एसएफआई ने उजागर किया है। इसी बौखलाहट में विवि प्रशासन ने सरकार के इशारे पर एसएफआई के छात्र कार्यकर्त्ताओं पर सुनियोजित तरीके से हमला करवाया, ताकि विश्व विद्यालय का माहौल खराब हो और लोगों का ध्यान इस मुद्दे से हट जाए।
शिमला में पत्रकार वार्ता में एसएफआई के राज्य सचिव अमित ने कहा कि विश्व विद्यालय में आज तक जितने भी घोटालों का पर्दाफाश हुआ है उन्हें एसएफआई ने ही आंदोलन के माध्यम से लोगों के बीच में लाया है। पुलिस भी विवि प्रशासन और भाजपा सरकार के दबाव में एसएफआई के छात्र कार्यकर्त्ताओ पर झूठे मुकद्दमे दर्ज कर रही है जिसका एसएफआई विरोध करती है। वहीं एसएफआई के राज्य सचिव ने आरोप लगाया है कि विश्व विद्यालय में एम.कॉम और इक्डोल के अंदर बजी कई घोटाले हुए हैं जिस पर अभी विवि प्रशासन ने किसी भी तरह की जांच नही की है।
एसएफआई लगातार इन घोटालों के खिलाफ आंदोलन कर रही थी जिससे घबरा कर विवि प्रशासन ने छात्र आंदोलन को कुचलने के लिए एसएफआई पर यह हमला करवाया। जबकि दूसरी ओर हॉस्टल के अंदर दराट लेकर पहुंचने वाले एबीवीपी के छात्र कार्यकर्ताओ पर किसी भी तरह का मुकद्दमा और कार्रवाई नहीं की जा रही है।