डिजिटल इंडिया के युग में पाषाण काल का दौर, चारपाई पर रोगी को लाना-ले जाना बना मजबूरी

Edited By kirti, Updated: 20 Sep, 2018 11:56 AM

stone age round in the age of digital india

सड़कों के माध्यम से गांवों को विकास के साथ जोडऩे के दावे किए जाते हैं। इन दावों के बीच जिला चम्बा में अभी भी सैकड़ों ऐसे गांव हैं जोकि सड़क सुविधा को तरस रहे हैं। इस सुविधा की कमी का खमियाजा उन गांवों के लोगों को भुगतना पड़ रहा है जोकि सड़क सुविधा...

चम्बा : सड़कों के माध्यम से गांवों को विकास के साथ जोडऩे के दावे किए जाते हैं। इन दावों के बीच जिला चम्बा में अभी भी सैकड़ों ऐसे गांव हैं जोकि सड़क सुविधा को तरस रहे हैं। इस सुविधा की कमी का खमियाजा उन गांवों के लोगों को भुगतना पड़ रहा है जोकि सड़क सुविधा से आज भी अछूते हैं। चम्बा विधानसभा क्षेत्र के दायरे में आने वाली ग्राम पंचायत सराहण का गांव चुल्ला व फोलगत इसी सूची में शामिल हैं। इन गांवों में रहने वाले लोगों का इसे दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि डिजिटल इंडिया के इस युग में आज भी लोगों को पाषाण काल के दौर का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

प्रसव के बाद छुट्टी होने पर चारपाई पर लाने को हुए मजबूर
मंगलवार को ऐसी ही परेशानी से चुल्ला गांववालों को उस समय रू-ब-रू होते हुए देखा गया जब देसराज की बहू को मैडीकल कालेज अस्पताल चम्बा से प्रसव के बाद छुट्टी होने पर उसे घर लाने के लिए परिवार के सदस्यों को मुख्य सड़क से घर तक महिला को चारपाई पर उठा कर लाना पड़ा। घर के सदस्यों से जब पंजाब केसरी ने इस मौके पर बात की तो उन्होंने बताया कि उक्त महिला का प्रसव के दौरान आप्रेशन हुआ है और उसे मैडीकल कालेज अस्पताल चम्बा से छुट्टी दे दी गई है, ऐसे में अब घरवाले उसे घर ले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जहां तक सड़क सुविधा की बात है तो गांव के लोग लंबे समय से सड़क की मांग करते चले आ रहे हैं लेकिन अभी तक उन्हें सड़क सुविधा मुहैया नहीं हुई है।

जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर की दूरी
उन्होंने बताया कि उनके क्षेत्र का यह दुर्भाग्य रहा है कि चम्बा जिला मुख्यालय से भले ही यह गांव करीब महज 20 किलोमीटर की दूरी पर है लेकिन पिछले कई वर्षों तक यह भरमौर विधानसभा क्षेत्र का अंग रहा है। उस दौरान तो इस गांव का विकास रुका रहा लेकिन अब डी-लीमिटेशन के बाद यह गांव व पंचायत चम्बा विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा बन चुकी है, बावजूद इसके आज भी यह गांव सड़क सुविधा को तरस रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव को जाने वाला पैदल मार्ग भी अधिक अच्छा नहीं है, ऐसे में रोगी को चारपाई पर उठाकर सड़क तक पहुंचाना रात के समय तो पूरी तरह से खतरे से खाली नहीं होता है। न सिर्फ रोगी की जान खतरे में बनी रहती है बल्कि जिन लोगों ने उसे उठाया होता है, उन पर भी खतरा बना रहता है। ऐसे में यह सड़क समस्या इस गांव के साथ-साथ अन्य साथ लगते गांवों के लिए भी बेहद जरूरी है।

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