’कभी हां-कभी न’ वाली स्थिति में प्रदेश सरकार, किसी मुद्दे पर स्टैंड नहीं : राणा

Edited By prashant sharma, Updated: 16 Nov, 2020 03:06 PM

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प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने पंचायती राज चुनावों को लेकर भारी असमंजस में चल रही प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि वर्तमान सरकार कभी हां-कभी न वाली स्थिति में है।

हमीरपुर : प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने पंचायती राज चुनावों को लेकर भारी असमंजस में चल रही प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि वर्तमान सरकार कभी हां-कभी न वाली स्थिति में है। पिछले 3 सालों से किसी भी मुद्दे को लेकर सरकार का स्टैंड नहीं रहा है तथा प्रदेश की जनता भी सरकार को फैसलों से पलटने वाली ’पलटू सरकार’ के नाम से जानने लगे हैं। जारी प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने कहा कि पंचायत चुनावों को लेकर भी सरकार असमंजस में ही दिख रही है। पहले सरकार नई पंचायतों के गठन से हाथ पीछे खींचती रही और दहलीज पर चुनाव आते ही आनन-फानन में पंचायतों का गठन शुरू कर दिया। अब 400 के करीब नई पंचायतों का गठन कर दिया, लेकिन सरकार के पास चुनाव करवाने को पर्याप्त मतपेटियां ही नहीं हैं। पड़ोसी राज्यों से मतपेटियों की डिमांड की जा रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी नई पंचायतों के विरोध में नहीं है लेकिन सरकार को नई पंचायतों के गठन की प्रक्रिया एक साल पहले शुरू करनी चाहिए थी, ताकि पंचायतों के लोग भी नई पंचायतों के गठन में बराबर की भागीदारी निभाने के साथ अपनी सहमति देते।

अब चुनावों के ऐन वक्त सरकार को नई पंचायतों के गठन में लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा तथा कई जगहों पर सरकार को निर्णय भी बदलने पड़े। अगर 1 साल पहले नई पंचायतों के गठन की प्रक्रिया शुरू की होती तो सरकार को मतपेटियों के लिए भटकना न पड़ता, लेकिन सरकार की आदत बन चुकी है कि समय रहते  सरकार कोई निर्णय नहीं ले पाती है। उन्होंने कहा कि हिमाचल को मुद्दतों बाद ऐसी सरकार मिली है, जो जनहित फैसले लेने में ही सक्षम नहीं है। विधायक ने आरोप लगाया कि अपने कुप्रबंधन के चलते वर्तमान प्रदेश सरकार बुरे आर्थिक दौर से गुजर रही है तथा जनता भी इस सरकार से हताश व परेशान हो चुकी है। सत्ता में आने के बाद से ही सरकार अपने फैसलों पर अटल नहीं रही है तथा अफसरशाही के दबाव में ही निर्णय बदल लिए जाते हैं। उन्होंने आशंका जताई कि पंचायत चुनावों में देरी में भी अफसरशाही के फैसले ही अड़ंगा डाल रहे हैं या फिर सरकार ही चुनावों में करवाने की स्थिति में नहीं लग रही है, उसी का नतीजा है कि अब तक चुनावों संबंधी पूरी तैयारी भी सरकार नहीं कर पाई है।
 

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