आजादी के बाद भी नहीं आए दिन अच्छे, सरकार की ठोस नीति को तरसे विशेष बच्चे

Edited By Vijay, Updated: 09 Jun, 2019 05:04 PM

special children craving for solid policy

सुंदरनगर के डोडवा स्थित साकार स्कूल पिछले 11 वर्षों से विशेष बच्चों के लिए अपनी सेवाएं दे रहा है जहां पर बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने का हर प्रयास किया जा रहा है। स्कूल में 4 साल से लेकर 25 साल की उम्र के लगभग 79 बच्चे आत्मनिर्भर बनने का प्रयास कर रहे...

सुंदरनगर (नितेश सैनी): सुंदरनगर के डोडवा स्थित साकार स्कूल पिछले 11 वर्षों से विशेष बच्चों के लिए अपनी सेवाएं दे रहा है जहां पर बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने का हर प्रयास किया जा रहा है। स्कूल में 4 साल से लेकर 25 साल की उम्र के लगभग 79 बच्चे आत्मनिर्भर बनने का प्रयास कर रहे हैं। बच्चों की पढाई-लिखाई, स्कूल में लाने और घर छोडऩे से लेकर अध्यापकों और कर्मचरियों पर हर महीने 3 लाख रुपए का खर्च होता है, जिसमें 20 प्रतिशित यानि 60 हजार रुपए हर माह केंद्र सरकार वहन करती है जो सरकार के दिशा और विकास नैशनल ट्रस्ट के माध्यम से प्राप्त होता है और अन्य खर्चा संस्था समाज के लोगों की सहायता से उठा रही है लेकिन सबसे बड़ी हेरानी की बात है कि प्रदेश के हजारों विशेष बच्चों के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार कोई भी ठोस योजना तैयार नहीं कर पाई है।
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सरकार विशेष बच्चों को पैंशन देने तक ही सीमित

सरकार सिर्फ पैंशन देने तक सीमित है जबकि बच्चों के लिए कोई भी विशेष कार्यक्रम नहीं है। अगर सरकार विशेष बच्चों की तरफ ध्यान दे तो बच्चे पढाई के साथ छोटे-मोटे काम सीख कर खुद पर आत्मनिर्भर बन सकते हैं लेकिन सरकार इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा पाई है। हां  इतना जरूर है कि हिमाचल में सरकार द्वारा दिव्यांगों के लिए सुंदरनगर और शिमला के ढली में 2 स्कूल चलाए जा रहे हैं लेकिन वहां पर भी निर्धारित सीटें होने के कारण हजारों बच्चे-पढाई लिखाई से वंचित रह रहे हैं। इन बच्चो के लिए कोई भी सरकारी स्कूल व नीति नहीं है लेकिन प्रदेश की कई संस्थाएं अपने बूते पर इन बच्चो के लिए काम कर रही हैं।
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क्या कहती हैं साकार स्कूल की अध्यक्ष

साकार स्कूल की अध्यक्ष शीतल शर्मा ने कहा कि प्रदेश में बहुत से ऐसे बच्चे हैं, जिन्हें तमाम सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। उन्होंने सरकार से मांग उठाई है कि विशेष बच्चों के लिए तहसील स्तर पर डे केयर सैंटर खोले जाएं ताकि बच्चों को घर के समीप खुद पर आत्मनिर्भर होने की सभी सुविधाएं मिल सकें। उन्होंने दुख जाहिर करते हुए कहा कि देश की आजादी के 72 वर्षों के बाद भी हिमाचल में कई सरकारें रहीं लेकिन कोई भी सरकार विशेष बच्चों के लिए कोई उचित कदम या कोई ठोस नीति नहीं ला पाई। प्रदेश के हजारों बच्चों को अलग-अलग संस्थाओं द्वारा अपने स्तर पर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। उन्होंने प्रदेश कि जयराम सरकार से आग्रह किया है कि जल्द से जल्द प्रदेश के हजारों विशेष बच्चों के लिए कोई ठोस नीति बनाई जाए ताकि वे खुद पर आत्मनिर्भर हो सकें।

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