काबिलेतारीफ : दिल्ली के इस बड़े अस्पताल में डॉक्टर के पद पर नियुक्त हुआ दर्जी का बेटा

Edited By Vijay, Updated: 09 Jul, 2020 10:42 PM

son of tailor appointed to the post of doctor

संकल्प और साहस हो तो हम अपनी उम्मीदों को पूरा कर सकते हैं। इंसान केवल हाड़-मांस का पुतला नहीं है, उसके अंदर असीम ताकत छिपी है। जो उस ताकत को पहचान लेता है, वह असंभव को संभव बना देता है। आदमी अगर ठान ले तो कुछ भी कर सकता है।

डल्हौजी (ब्यूरो): संकल्प और साहस हो तो हम अपनी उम्मीदों को पूरा कर सकते हैं। इंसान केवल हाड़-मांस का पुतला नहीं है, उसके अंदर असीम ताकत छिपी है। जो उस ताकत को पहचान लेता है, वह असंभव को संभव बना देता है। आदमी अगर ठान ले तो कुछ भी कर सकता है। ऐसा ही डल्हौजी केवार्ड नंबर-2 लोहाली के एक व्यक्ति ने कर दिखाया है। अपनी एक टांग के खराब हो जाने के बाद भी इस शख्स ने हिम्मत नहीं हारी और आज उसके द्वारा अपने बच्चों को दी हुई बेहतर परवरिश और उच्च संस्कारों का ही नतीजा है कि उसके बड़े बेटे ने वह कर दिखाया है, जिसकी हर कोई मिसाल दे रहा है।

सफदरजंग अस्पताल में डॉक्टर के पद पर नियुक्ति

डल्हौजी के वार्ड नंबर-2 लोहाली के रहने वाले चमन लाल के बेटे साहिल ने तमाम कठिनाइयों को पार करते हुए अपनी मेहनत और अपने पिता के सही मार्गदर्शन के चलते दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में डॉक्टर के पद पर नियुक्ति पाई हैं। अपने बेटे की इस उपलब्धि से चमन लाल फूले नहीं समा रहे हैं। उनके बेटे ने उनके सपने को पूरा करते हुए आज उन्हें गौरवान्वित कर दिया है। चमन लाल इस बात से बेहद खुश है कि उसका बेटा आज कोरोना महामारी के इस काल में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहा है। चमन लाल डल्हौजी के गांधी चौक में स्थित तिब्बती मार्कीट में छोटे से खोखानुमा दुकान में बीते करीब 25 वर्षों से दर्जी का काम कर रहे हैं और इसी से उनके घर का गुजारा चलता है। वहीं उनकी माता आशा देवी गृहिणी हैं। इनका एक और बेटा है, जिसने बनीखेत के डीएवी कॉलेज से बीए की पढ़ाई समाप्त की है।

एक दुर्घटना में खराब हो गई थी चमन की टांग

एक दुर्घटना में चमन लाल की एक टांग में चोट लग गई थी। उसके बाद से उनकी एक टांग खराब हो गई थी। बावजूद इसके उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने जीवन को उन्होंने बेहतर ढंग से जीने की और किसी पर मोहताज न रहने का संकल्प लिया। उन्होंने दर्जी का काम शुरू कर दिया। विवाह के बाद उनके 2 बेटे हुए, जिनको उन्होंने बेहतर शिक्षा प्रदान करने की भरपूर कोशिश की। उनके बेटे साहिल ने भी मेहनत में कोई कमी नहीं दिखाई और पहले जवाहर नवोदय विद्यालय सरोल में प्रवेश पाया और उसके बाद वहां पर 12वीं तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद नीट की परीक्षा को भी उत्तीर्ण किया और वर्तमान में वह सफदरजंग अस्पताल में डॉक्टर के पद पर नियुक्त हुए हैं।

बेटे ने सच कर दिखाया सपना

चमन लाल ने बताया कि उनके बेटे ने उनके सपने को पूरा करने में कोई कसर नहीं रखी और वह हर रोज 8 से 9 घंटे पढ़ाई करता था। शुरू से ही उसमें डॉक्टर बनने की ललक थी और वह हमेशा यह कहता था कि वह आपके सपने को पूरा करने के लिए खूब मेहनत करेगा। अपने बेटे को डॉक्टर बनाने के लिए चमन लाल ने जिंदगी की पूरी कमाई लगा दी। बेटे को जितने पैसों की जरूरत होती थी, उससे अधिक पैसे उसको देते थे। उम्मीद थी कि बेटा डॉक्टर बनने के बाद उनका नाम रोशन करेगा और अब उनका यह सपना सच हो गया है।

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