Edited By Ekta, Updated: 10 Oct, 2018 09:31 AM
हिमाचल में कितनी वन भूमि पर लोगों ने अवैध कब्जे कर रखे हैं? यह पूरी जानकारी जल्द पब्लिक डैशबोर्ड पर उपलब्ध रहेगी। वन विभाग ने इसी मकसद से एक सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया है। इसमें अतिक्रमणकारियों के अलावा हाइकोर्ट के आदेशों पर बीते 2 वर्षों से हटाए गए...
शिमला (ब्यूरो): हिमाचल में कितनी वन भूमि पर लोगों ने अवैध कब्जे कर रखे हैं? यह पूरी जानकारी जल्द पब्लिक डैशबोर्ड पर उपलब्ध रहेगी। वन विभाग ने इसी मकसद से एक सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया है। इसमें अतिक्रमणकारियों के अलावा हाइकोर्ट के आदेशों पर बीते 2 वर्षों से हटाए गए अवैध कब्जों तथा वन विभाग द्वारा की गई प्लांटेशन की पूरी जानकारी मौजूद रहेगी। डाटा बेस तैयार होने के बाद कोई भी व्यक्ति घर बैठे कहीं से भी वन भूमि पर किए गए कब्जों की जानकारी हासिल कर पाएगा।
वन विभाग को भी अतिक्रमण हटाने तथा हाइकोर्ट को हटाए गए अवैध कब्जों की जानकारी देना आसान हो जाएगा। दावा किया जा रहा है कि इससे अवैध कब्जे हटाने के काम में तेजी और पारदर्शिता आएगी। इनने इस सॉफ्टवेयर में डाटा डालना आरंभ कर दिया है। सॉफ्टवेयर लांचिंग के पहले ही दिन अतिक्रमण के 48 मामले इसमें अपलोड कर दिए गए हैं। अतिक्रमण की गई जगह की जमाबंदी समेत उस भूमि की फोटो को भी सॉफ्टवेयर में डाल रहा है। यहां बता दें कि हिमाचल हाइकोर्ट के आदेशों पर वन भूमि से अवैध कब्जों को हटाने की बीते 2 साल से मुहिम चली हुई है।
सेब बाहुल क्षेत्रों में सैंकड़ों अवैध कब्जों को हटा दिया गया है जबकि प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में भी इस तरह की कार्रवाई संभावित है। कई बार स्थानीय लोग आरोप लगाते रहे हैं कि कुछ इलाकों में पिक एंड चूज की नीति अपनाकर अवैध कब्जे हटाए गए हैं। सॉफ्टवेयर लांच होने के बाद ऐसा कर पाना मुश्किल हो जाएगा। विभाग का दावा है कि इस सॉफ्टवेयर में प्लांटेशन की भी पूरी जानकारी उपलब्ध रहेगी। इस साल वन विभाग ने 80 हजार लोगों की सहभागिता से विभिन्न किस्मों के 17.5 लाख पौधे रोपित किए हैं। सॉफ्टवेयर में इनकी भी पूरी जानकारी रहेगी।
पी.सी.सी.एफ. ने लांच किया सॉफ्टवेयर
वन विभाग के प्रधान मुख्य अरण्यपाल (हॉफ)अजय कुमार ने मंगलवार को शिमला में आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान सॉफ्टवेयर का शुभारंभ किया। इसमें शिमला और रामपुर मंडल क्षेत्र के डी.एफ.ओ., ए.सी.एफ., आर.ओ., एफ.जी. और कुछ ऑफिस सहायक तथा डाटा एंट्री ऑप्रेटरों को भी प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान प्रतिभागियों को अतिक्रमण पर डाटा बेस को बनाए रखने के तौर-तरीके सिखाए गए। इसी तरह 9 से 16 अक्तूबर तक प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में सॉफ्टवेयर में डाटा एंट्री और सॉफ्टवेयर की जानकारी देने को लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम किए जाएंगे।