Edited By prashant sharma, Updated: 18 Feb, 2021 05:57 PM
सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग करने के बाद जहां युवा बड़ी कंपनियों में सालाना बड़े पैकेज पर नौकरी की चाह रखते हैं। वहीं, हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के युवा जतिन ठाकुर ने इंजीनियरिंग करने के बाद कुछ और करने की ठानी।
बिलासपुर (मुकेश गौतम) : सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग करने के बाद जहां युवा बड़ी कंपनियों में सालाना बड़े पैकेज पर नौकरी की चाह रखते हैं। वहीं, हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के युवा जतिन ठाकुर ने इंजीनियरिंग करने के बाद कुछ और करने की ठानी। जतिन ने बंजर जमीन पर चाय का बगीचा लगाने की सोची। आज उनकी मेहनत रंग लाई है और बगीचे में करीब तीन हजार चाय के पौधे लहलहा रहे हैं। चाय की फसल छह माह में पूरी तरह से तैयार होने वाली है।
चाय के लिए कांगड़ा का पालमपुर क्षेत्र की मशहूर हैं। अब बिलासपुर की पटेर पंचायत का बेकल गांव दार्जिलिंग चाय की खुशबू से महक रहा है। बड़ी बात यह है कि जतिन ने यू-ट्यूब पर बगीचा लगाने की जानकारी ली और यह कारनामा कर दिया। लगभग दो साल पहले बीस बीघा जमीन के लिए चाय का बीज मंगवाया। फिर यू-ट्यूब से हर रोज जानकारी लेते रहे। पौधे तैयार होने के बाद सही रखरखाव और पैदावार बढ़ाने के लिए टी-बोर्ड ऑफ इंडिया को आवेदन किया। इस पर कृषि विभाग की तरफ से जतिन को 2500 पौधे और दिए गए।
कुछ समय पहले टी-बोर्ड ऑफ इंडिया की टीम ने यहां का दौरा किया। टीम ने दावा किया कि चाय के जो पौधे तैयार हो रहे हैं, उनकी पैदावार पालमपुर की चाय से अधिक होगी। पालमपुर की चाय के बगीचे में फसल आठ महीने पैदावार होती है, तो बेकल गांव की पैदावार दस महीने होगी, लेकिन इसकी गुणवत्ता अधिक होगी। जतिन ने कहा कि भविष्य में 25000 तक पौधे तैयार करने का लक्ष्य है। जतिन ठाकुर ने कहा कि आजकल युवा पढ़ा लिखा होने के बावजूद नौकरियों के लिए भटक रहा है। अगर वह मेहनत करे तो बंजर जमीन पर कुछ भी हो सकता है। उन्होंने बीस बीघा जमीन पर चाय का बगीचा लगभग तैयार कर लिया है। टी-बोर्ड ऑफ इंडिया के डायरेक्टर सुमित ठाकुर ने कहा कि बेकल गांव के युवा बीस बीघा जमीन में चाय का बगीचा तैयार कर रहा है। विभाग की तरफ से भी 2500 पौधे दिए गए हैं। दूसरी जगह के लोगो को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।