Snow कवर एरिया को लेकर सर्वेक्षण में हुआ हैरान करने वाला खुलासा

Edited By Ekta, Updated: 13 Jun, 2019 12:55 PM

snow cover area

ठीक ऐसे वक्त में जब समूचा विश्व क्लाइमेट चेंज की चिंता और इसके दुष्परिणामों से जूझ रहा है, देवभूमि हिमाचल से एक सुखद खबर आई है। हिमाचल में रावी, ब्यास, सतलुज व चिनाब बेसिन पर वर्ष 2018-19 के दौरान 2017-18 की तुलना में स्नो कवर एरिया 97672.17 वर्ग...

शिमला (देवेंद्र हेटा): ठीक ऐसे वक्त में जब समूचा विश्व क्लाइमेट चेंज की चिंता और इसके दुष्परिणामों से जूझ रहा है, देवभूमि हिमाचल से एक सुखद खबर आई है। हिमाचल में रावी, ब्यास, सतलुज व चिनाब बेसिन पर वर्ष 2018-19 के दौरान 2017-18 की तुलना में स्नो कवर एरिया 97672.17 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 122246.9 वर्ग किलोमीटर (26.16 फीसदी इजाफा) हुआ है। यही नहीं, बीते 8 सालों के दौरान 2018-19 में स्नो कवर एरिया में सबसे ज्यादा रिकॉर्डतोड़ बढ़ौतरी हुई है। इसका खुलासा ‘स्पेस एप्लीकेशन सैंटर’ (इसरो) अहमदाबाद व ‘स्टेट काऊंसिल फॉर साइंस एंड टैक्नोलॉजी काऊंसिल’ के सहयोग से ‘एच.पी. स्टेट सैंटर ऑन क्लाइमेट चैंजिज’ द्वारा सैटेलाइट तस्वीरों के जरिए किए गए ताजा सर्वेक्षण में हुआ है।  

भीषण गर्मी में आई यह शीतल खबर हिमाचल समेत दक्षिण एशिया के उन सभी देशों के लिए राहत भरी है, जिन्हें हिमाचल के हिमालय रीजन में ग्लेशियर पिघलने के कारण समुद्र में समा जाने भय सता रहा है। कार्बन क्रैडिट वाले एशिया के पहले राज्य हिमाचल के लिए स्नो कवर एरिया बढऩा प्रकृति का वरदान है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से डेढ़ दशक के दौरान प्रदेश की चारों प्रमुख नदियों के बेसिन पर ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। इनके पिघलने से समूची दुनिया चिंता में है, लेकिन हिमाचल में इस बार की सर्दियों में हुई रिकॉर्डतोड़ बर्फबारी के बाद ग्लेशियरों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है।

किस बेसिन पर कब-कब कितना बढ़ा स्नो कवर एरिया?

  • चिनाब बेसिन पर 2017-18 की तुलना में अक्तूबर, 2018 में 183.2 फीसदी बढ़ौतरी दर्ज की गई। नवम्बर में 45.1 फीसदी, दिसम्बर 17.4 फीसदी, जनवरी 2019 में 4.2 फीसदी, फरवरी 7.2 फीसदी तथा मार्च में 5.3 फीसदी स्नो कवर बढ़ा।
  • रावी बेसिन पर अक्तूबर में 411.2 फीसदी, नवम्बर 93 फीसदी, जनवरी 38.3 फीसदी, फरवरी 96.1 फीसदी, मार्च 51.2 फीसदी बढ़ा तथा दिसम्बर में 11.4 फीसदी की कटौती आई।
  • ब्यास बेसिन पर अक्तूबर, 2018 में स्नो कवर एरिया 106.45 फीसदी, नवम्बर में 52.66, फरवरी में 31.46 फीसदी, मार्च में 30.69 फीसदी बढ़ौतरी तथा दिसम्बर में 16.18 फीसदी की कमी।
  • सतलुज बेसिन पर अक्तूबर में 185.2 फीसदी, नवम्बर में 75.2 फीसदी, फरवरी में 14.9 फीसदी, मार्च में 18.1 फीसदी की बढ़ौतरी तथा दिसम्बर में 0.95 फीसदी और जनवरी में 0.05 फीसदी की मामूली कमी हुई।
  • इस तरह 2017-18 की तुलना में 2018-19 में रावी बेसिन पर सबसे ज्यादा 54.6 फीसदी, ब्यास बेसिन पर 22.6 फीसदी, सतलुज पर 20.8 फीसदी तथा चिनाब बेसिन पर 23.2 फीसदी की बढ़ौतरी हुई है। 

4 प्रमुख नदियों के बेसिन पर 2017-18 व 2018-19 के दौरान स्नो कवर एरिया व बढ़ौतरी
बेसिन         2017-18 में             2018-19 में            चैंज
का नाम      वर्ग किलोमीटर में      वर्ग किलोमीटर में    प्रतिशत

रावी           9142.44                  14139.95              54.6
ब्यास        11956                     14666.21               22.6
सतलुज     38957.31                 47082.39               20.8
चिनाब      37616.42                 46358.36               23.2
कुल          97672.17                 122246.9               26.16 

स्नो कवर बढ़ने के फायदे?

स्नो कवर एरिया में बढ़ौतरी से नदियों में पानी की कमी नहीं होगी। इससे पर्यावरण संतुलना बना रहा है। जिस गति से धरती का तापमान बढ़ रहा है, वो नियंत्रण में रहेगा। पहाड़ों पर बर्फ होगी तो ही पीने और बिजली पैदा करने को पानी मिलेगा। इसी से संसार चलता रहेगा। खेतीबाड़ी के लिए स्नो कवर का बढऩा सबसे अच्छा संकेत है। 

स्टडी एरिया?

हिमाचल की 4 प्रमुख नदियों चिनाब, ब्यास, सतलुज व रावी के बेसिन के अलावा भागा, चंद्रा, मियाड़, जीवा, स्पीति, पिन, ब्यास, पार्वती व बासपा में यह सर्वेक्षण किया गया है। इस बार प्रत्येक बेसिन पर स्नो कवर एरिया में इजाफा हुआ है।

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