3 साल से फाइलों में ही धूल फांक रही धर्मशाला की स्मार्ट परियोजनाएं

Edited By Simpy Khanna, Updated: 29 Aug, 2019 10:19 AM

smart projects have been burning dust

स्मार्ट सिटी के रूप में चयनित होने के करीब तीन साल बाद भी धर्मशाला स्मार्ट नहीं बन पाया है। आलम यह है कि स्मार्ट परियोजनाएं अब भी फाइलों में ही धूल फांक रही हैं। 2106 करोड़ रुपये से शहर को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाना है, लेकिन अब तक महज...

धर्मशाला(नृपजीत): स्मार्ट सिटी के रूप में चयनित होने के करीब तीन साल बाद भी धर्मशाला स्मार्ट नहीं बन पाया है। आलम यह है कि स्मार्ट परियोजनाएं अब भी फाइलों में ही धूल फांक रही हैं। 2106 करोड़ रुपये से शहर को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाना है, लेकिन अब तक महज 20 करोड़ ही खर्च हो पाए हैं।
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हैरानी की बात यह है कि इस राशि से भी केवल छोटे-छोटे ही कार्य हो पाए हैं। स्मार्ट सिटी को केंद्र से 186 करोड़ रुपये पहली किस्त के रूप में मिले, जबकि 10 फीसद राशि प्रदेश सरकार से मिली। कुल 220 करोड़ रुपये में से अब तक 20 करोड़ ही खर्च हो पाए हैं। मई 2016 को धर्मशाला स्मार्ट सिटी की अधिसूचना जारी हुई थी, लेकिन पौने तीन साल बीतने के बाद भी स्मार्ट परियोजनाओं के शुरू न होने से शहरवासी भी हैरान हैं। स्मार्ट सिटी के तहत 32 स्मार्ट परियोजनाओं के तहत विकास कार्य होने हैं।
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गौरतलब रहे कि शीतकालीन प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने स्मार्ट सिटी की विभिन्न परियोजनाओं स्मार्ट रोड समेत अन्यों के शिलान्यास तो किए, लेकिन ये अब तक अधर में हैं। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत धर्मशाला शहर को विकसित करने के लिए 10 करोड़ रूपये से तैयार होने वाले तीन परियोजनाओं का काम लटक गया है। गौरतलब रहे कि पिछले तीन महीनो से इन परियोजनाओं कि टेंडर प्रक्रिया हो रही है लेकिन कोई ठेकेदार नहीं मिल रहा है। तीनों परियोजनाओं में सबसे बड़ी परियोजना 92 वर्षाशालिकाएं बनने का है जिस पर लगभग 9 करोड़ रूपये व्यय होने का प्रस्ताव है।इसके अलावा साढ़े 5 करोड़ रूपये कि लागत से धर्मशाला शहर में अत्याधुनिक पार्क विकसित होना प्रस्तावित है और साथ ही पर्यटकों के लिए साढ़े 3 करोड़ रूपये के बाईक शेयरिंग परियोजना के लिए भी टेंडर प्रक्रिया कि तारीख आगे बढाई गई है।
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धर्मशाला स्मार्ट सिटी के निदेशक एवं नगर निगम के मेयर देवेन्द्र जग्गी ने कहा कि स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत तीन टेंडर लगाए थे लेकिन इन तीनो परियोजनाओं में एक ही कंम्पनी कि इन्क्वारी आई थी। इसी कारण टेंडर प्रक्रिया को बढ़ा दिया है। निदेशक ने कहा उन्होंने इन परियोजनाओं कि टेंडर प्रक्रिया के लिए विज्ञापन भी किया है ताकि ज्यादा से ज्यादा कंपनी टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा ले और जैसे ही ठेकेदार मिलेंगे उसके आगे कि प्रक्रिया अम्ल में लाई जाएगी।
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स्थानीय निवासियों का कहना है कि धर्मशाला तो कहने को ही स्मार्ट सिटी है पर यहां सुविधाएं हैं ही नहीं। स्मार्ट सिटी कि वर्षाशालिकाओं और पार्कों कि बड़ी बुरी हालत है। उनका कहना है कि बच्चों को खेलने के लिए कोई उच्चित व्यवस्था नहीं है।
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