रक्षाबंधन पर इस बार हिमाचल के कैदियों के हाथ से बनी चॉकलेट खाएंगी बहनें

Edited By Ekta, Updated: 09 Aug, 2019 12:22 PM

sisters will eat chocolate made by himachal prisoners

गिफ्ट की दुकानों से लेकर चॉकलेट, बेकरी के साथ-साथ मिठाइयों की दुकान सज चुके हैं। रक्षा बंधन के खास मौके पर बहनों को भाइयों से हमेशा तोहफे की आश रहती है। अगर आप भी अपनी बहन को राखी के मौके पर तोहफा देना चाहते हैं तो आप इस बार हिमाचल की जेल में बंद...

शिमला (राक्टा): गिफ्ट की दुकानों से लेकर चॉकलेट, बेकरी के साथ-साथ मिठाइयों की दुकान सज चुके हैं। रक्षा बंधन के खास मौके पर बहनों को भाइयों से हमेशा तोहफे की आश रहती है। अगर आप भी अपनी बहन को राखी के मौके पर तोहफा देना चाहते हैं तो आप इस बार हिमाचल की जेल में बंद कैदियों के हाथों की बनी चॉकलेट तोहफे में दें। जेल विभाग ने कैदियों द्वारा बनाई गई चॉकलेट को कारा चॉकलेट का नाम देकर बाजार में उतार दिया है। गुरुवार को जेल महानिदेशक सोमेश गोयल ने कारा चॉकलेट को लांच किया। इस अवसर पर जेल मुख्यालय के अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।  
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बेकरी व हैंडलूम के बाद अब हिमाचल की जेलों में कैदी हाईजीनिक चॉकलेट भी तैयार कर रहे हैं। इसी कड़ी में वीरवार को डी.जी. जेल सोमेश गोयल ने कैदियों द्वारा तैयार की जा रही चॉकलेट को लॉन्च किया। इसको कारा चॉकलेट का नाम दिया गया है जो जेल विभाग के विभिन्न स्थानों पर खुले बिक्री केंद्रों में उपलब्ध होगी। रक्षाबंधन के त्यौहार से पहले कारा चॉकलेट को लॉन्च किया गया है और जेल विभाग को आशा है कि इसके बेहतर परिणाम सामने आएंगे। यह चॉकलेट मॉडल सैंट्रल जेल नाहन और कैथू में तैयार की जा रही है। इसे बनाने में कैदियों को प्रशिक्षित करने के लिए चंडीगढ़ के एक मास्टर शैफ की सेवाएं ली गईं। 

बेकरी पोर्टफोलियो में विविधता लाने वाले के लिए विभाग ने हाईजीनिक चॉकलेट को रक्षाबंधन को ध्यान में रखते हुए इस चॉकलेट को लांच किया गया है जिसकी कीमत 250 रुपए रखी गई है। गौर हो कि प्रदेश में जेल विभाग ने कैदियों के लिए कई सुधार कार्यक्रम शुरू किए हैं। हिमाचल पूरे देश में एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां की जेलों में कैदियों को 2 शिफ्टों में रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। जेल विभाग बिलासपुर में एक हैंडलूम इकाई, जिला कारागार सोलन में एक बेकरी इकाई तथा जिला कारागार शिमला कैथू के परिसर में सैलून और टेलरिंग की इकाई भी आरंभ कर चुका है। शिमला बुक कैफे, हाईकोर्ट, राज्य सचिवालय, जिला न्यायालय परिसर, चक्कर और कैथू तथा विभाग के नाहन स्टोर में यह चॉकलेट उपलब्ध होगी।  

2 जेलों में जेल रेडियो

राज्य की 2 सैंट्रल जेलों नाहन और कंडा में जेल रेडियो भी चल रहा है। जेल रेडियो के कार्यक्रमों को बनाने से लेकर उनके संचालन की पूरी जिम्मेदारी जेल के ही कैदी संभाल रहे हैं। कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए प्रोफैशन रेडियो जॉकी से दोनों जेलों के 2-2 कैदियों को रेडियो जॉकी की ट्रेनिंग दी गई है।

मोबाइल कैंटीन भी चला रहे कैदी 

जेल विभाग द्वारा कैदियों की आजीविका के लिए हैंडलूम, गऊशाला, बुक कैफे, बेकरी, कारपेंटरी व मोबाइल वैन योजना शुरू की गई है। इसके अलावा कुछ कैदी मोबाइल कैंटीन भी चलाते हैं। मोबाइल कैंटीन जेलों से बाहर शहरों में चलाई जाती हैं और वहां पर कैदी कड़ी-चावल तैयार कर लोगों को सर्व करते हैं।

जैकेट, शॉल्स, मफलर व जुराब भी कर रहे तैयार

प्रदेश में कंडा और नाहन सैंट्रल जेलों के अलावा कई दूसरी जेलों में भी कैदी आजीविका कमाने के लिए उत्पाद तैयार कर रहे हैं। जेलों में सूती व ऊनी जैकेट, शॉल्स, मफलर व जुराबों के अलावा कंबल, दरियां और लकड़ी से बना सजावटी सामान व चीड़ के पत्तों के बने शोपीस जैसे उत्पाद कैदियों द्वारा तैयार किए जा रहे हैं। इसके साथ ही बेकरी उत्पाद भी तैयार किए जा रहे हैं।

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