Edited By kirti, Updated: 22 Nov, 2018 10:30 AM
परिवर्तन प्रकृति का नियम है इसे झुठलाया नहीं जा सकता परंतु धरोहर है इतिहास बनाती है। ऐसे में धरोहरों को सहेज कर रखना आने वाली पीढ़ी को इतिहास से रू-ब-रू करवाने का माध्यम बनती रही है। वर्ष 1906 में तहसील कार्यालय भवन का निर्माण हुआ तो इसके ठीक...
पालमपुर : परिवर्तन प्रकृति का नियम है इसे झुठलाया नहीं जा सकता परंतु धरोहर है इतिहास बनाती है। ऐसे में धरोहरों को सहेज कर रखना आने वाली पीढ़ी को इतिहास से रू-ब-रू करवाने का माध्यम बनती रही है। वर्ष 1906 में तहसील कार्यालय भवन का निर्माण हुआ तो इसके ठीक बीचोंबीच वास्तुकला से परिपूर्ण कोषागार का निर्माण किया गया। समय के साथ तहसील परिसर पुराना पड़ा तथा नए भवन की आवश्यकता के दृष्टिगत इसे डिस्मैंटल कर दिया गया।
यह धरोहर अपने अस्तित्व की जंग लड़ती दिख रही
इसी स्थान पर संयुक्त कार्यालय परिसर यानी लघु सचिवालय भवन का निर्माण करवाया गया। इसी संयुक्त कार्यालय परिसर के प्रांगण में एक सदी से भी पुराना कोषागार आज भी जस का तस अपना अस्तित्व बनाए हुए है। धरोहर के नाम पर इसे हटाया नहीं गया परंतु आज यह धरोहर अपने अस्तित्व की जंग लड़ती दिख रही है इसे न तो सहेजा जा रहा है और न ही संवारा जा रहा है। 8 दशक पूर्व पालमपुर नगर में पेयजल सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए योजना तैयार की गई है।