Edited By Kuldeep, Updated: 15 Jun, 2019 05:20 PM
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में एक विधवा आदिमानव की तरह जीवन जीने के लिए मजबूर है। 70 साल की यह महिला सिरमौर के दुर्गम क्षेत्र पोटा मानल पंचायत के मानीयो गांव में रहती है।
सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में एक विधवा आदिमानव की तरह जीवन जीने के लिए मजबूर है। 70 साल की यह महिला सिरमौर के दुर्गम क्षेत्र पोटा मानल पंचायत के मानीयो गांव में रहती है। सरकार सभी को मकान, शौचालय, बिजली व गैस सिलैंडर जैसी तमाम सुविधाओं के देने के दावा कर रही है। मगर इस महिला के पास रहने के लिए न तो सुरक्षित मकान हैं, न शौचालय न खाने के लिए पर्यात भोजन और न ही खाना पकाने के लिए गैस सिलैंडर। जो घर है उसकी हालत ऐसी है कि जरा सी बारिश में कौने-कौने में पानी चूने लगता है और पूरी रात बैठ कर गुजारनी पड़ती है।
लकडिय़ां में पकाती है खाना
विधवा महिला लकड़ी के उपर मुश्किल से खाना बनाती है। उसे केंद्र की उज्ज्वला और प्रदेश की जयराम सरकार की उस गृहिणी सुविधा का लाभ नहीं मिल पाया, जिसके तहत मुफ्त सिलैंडर वितरित की जाती है। महिला का कहना है कि खाना बनाने के लिए जंगल से बड़ी मुश्किल से लकडिय़ां लाती है। घर में बिजली का भी कनैक्शन नहीं है, ऐसे में दिन के उजाले में ही किसी तरह खाना पकाकर और खाकर सो जाती है। महिला के पास घर में जलाने के लिए न मोमबत्ती है न दिये के लिए तेल।
घर में बिजली भी नहीं
7 साल पहले महिला के पति का देहांत हो चुका है। इसके बाद वह अकेले में ही लकड़ी के टूटे हुए मकान में गुजारा कर रही है बिना बिजली कनैक्शन के रात को अंधेरे में भी डर लगता है। विधवा दुर्गी देवी आदिमानव की तरह अपना जीवन व्यतीत कर रही है। महिला की हालत इतनी खराब है कि कई बार भूखे पेट सोना पड़ता है।
सरकारी मदद के नाम विधवा पैंशन
सरकारी मदद के नाम पर एक हजार रुपए की विधवा पैंशन जरूर मिलती है लेकिन अपना गुजारा करने के लिए वह नाकाफी है। आसपास रहने वाले लोगों ने बताया कि यह महिला बहुत गरीब है। सरकार द्वारा इन्हें कोई सुविधा नहीं दी गई है। लोगों ने बताया कि इनका पुराना मकान कभी भी भरभराकर गिर सकता है।