सड़क हादसे में खामोश हुई आवाज ने 18 साल बाद छेड़ी सुरों की तान

Edited By Vijay, Updated: 14 Oct, 2018 09:42 PM

silent sound raise tone of voice after 18 years in the tragedy

जिनके हौसले बुलंद होते हैं कामयाबी खुद व खुद उनके कदम चूम ही लेती है इस वाक्य को सही मायने में चरितार्थ किया है हिमाचल के डल्हौली से बेहतरीन कलाकार अजय सहगल ने। अजय सहगल प्रदेश के जाने माने कलाकार हैं जो अभिनय के साथ-साथ अपनी दिलकश आवाज से दर्शकों...

शिमला: जिनके हौसले बुलंद होते हैं कामयाबी खुद व खुद उनके कदम चूम ही लेती है इस वाक्य को सही मायने में चरितार्थ किया है हिमाचल के डल्हौली से बेहतरीन कलाकार अजय सहगल ने। अजय सहगल प्रदेश के जाने माने कलाकार हैं जो अभिनय के साथ-साथ अपनी दिलकश आवाज से दर्शकों को दीवाना बना रहे हैं। शिमला अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फैस्टीवल में अजय सहगल की फिल्म जिंदगी के सफर में ने खूब धमाल मचाया है। 3 मिनट 30 सैकेंड की इस शार्ट फिल्म में दोस्ती की दास्तां को बयां किया गया है। रविवार को फिल्म फैस्टीवल में प्रदर्शित हुई इस फिल्म ने दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। इस फिल्म को पर्दे तक पहुंचाने के पीछे बेहद ही दर्दभरी कहानी है।

कार एक्सीडैंट में खो चुके थे बोलने की शक्ति
दरअसल अजय सहगल का वर्ष 1998 में पठानकोट में एक कार एक्सीडैंट हो गया था जिसमें अजय सहगल बुरी तरह से घायल हो गए थे इस हादसे ने अजय सहगल की आवाज तक छीन ली थी और हमेशा गुनगुनाने वाली आवाज खामोश हो गई। डाक्टरों ने साफ कह दिया कि गाना तो दूर आप बोल भी नहीं सकते लेकिन अजय ने हिम्मत नहीं हारी और कोशिश करते रहे जिसका नतीजा यह है कि आज एक नहीं बल्कि 5 से 6 फिल्मों में अपनी आवाज व अभिनय का लोहा मनवा चुके हैं। बुलंद हौसलों से अजय सहगल ने 18 साल के बाद माइक पकड़ा और सुरों की ऐसी तान छेड़ी कि हर कोई इनकी दिलकश आवाज का कायल बन गया।

दोस्ती की दास्तां को बयां करती है फिल्म
रविवार को गेयटी थिएटर में इनकी फिल्म जिंदगी के सफर में प्रदर्शित की गई। इस फिल्म की शूटिंग राजस्थान में की गई। फिल्म का निर्देशन सुनील ठाकुर ने किया है जबकि फिल्म के गीत, आवाज और अभिनय अजय सहगल का है। फिल्म पूरी तरह से दोस्ती की दास्तां को बयां करती है। फिल्म में संदेश दिया गया है कि दोस्ती सिर्फ 2 दोस्तों के बीच नहीं ही बल्कि पति-पत्नी के बीच में हो सकती है। दोस्त कोई भी हो सकता है बस जरूरत होती है पूरे समर्पण त्याग व बलिदान से रिश्ते को निभाने की। सभागार में बैठे दर्शकों को यह फिल्म बेहद पसंद आई है।

हिमाचली लोकगीतों को प्रमोट करने की ख्वाहिश  
मूलत: डल्हौली से संबंध रखने वाले अजय सहगल रक्षा मंत्रालय के तहत धर्मशाला कैंट योल में बतौर सी.ई.ओ. कार्यरत हंै। अजय सहगल ने विशेष बातचीत में बताया कि वह हिमाचली लोकगीतों को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट करना चाहते हैं इस दिशा में कार्य भी शुरू कर दिया गया है एक पहाड़ी एलबम जल्द ही बनकर तैयार होगी। इसके अलावा अजय सहगल की एक और एलबम बनकर तैयार है मैं इस छोर हूं की शूटिंग मनाली में हुई है जो दिसम्बर तक रिलीज होगी।

यू-ट्यूब पर भी खासे पसंद किए जा रहे वीडियो एलबम
अजय सहगल की बस एक पल जैसी सुपरहिट वीडियो एलबम सहित अन्य वीडियो भी यू-ट्यूब पर खासी पसंद की जा रही है। अजय ने 2 किताबें भी लिखी हैं इसमें सवाल राष्ट्र का और सुगंधी शामिल हैं।

अपनों का मिला सहयोग
अजय ने कहा कि वह जीवन जो कुछ भी है उसका श्रेय माता-पिता-पत्नी व अपने गुरु फकीर सुरजीत सिंह सहित उनके डाक्टर रजनीश कपूर के बदौलत है। जीवन के कठिन दौर में इन सबने ही उन्हें हौसला दिया जिसका नतीजा आज यह है कि वह प्रदेश सहित राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बना पाए हैं।

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