इन्वैस्टर मीट के खिलाफ उग्र हुई SFI, हिमाचल में जगह-जगह किए प्रदर्शन (Pics)

Edited By Vijay, Updated: 06 Nov, 2019 04:56 PM

sfi protest out of dc office

एसएफआई की राज्य कमेटी के आह्वान पर प्रदेश के तमाम जिला मुख्यालयों में एसएफआई द्वारा धर्मशाला में होने जा रही इन्वैस्टर मीट का विरोध धरना-प्रदर्शन के माध्यम से किया गया। इसी कड़ी में शिमला में जिलाधीश कार्यालय के बाहर एसएफआई ने जोरदार प्रदर्शन कर...

शिमला (योगराज): एसएफआई की राज्य कमेटी के आह्वान पर प्रदेश के तमाम जिला मुख्यालयों में एसएफआई द्वारा धर्मशाला में होने जा रही इन्वैस्टर मीट का विरोध धरना-प्रदर्शन के माध्यम से किया गया। इसी कड़ी में शिमला में जिलाधीश कार्यालय के बाहर एसएफआई ने जोरदार प्रदर्शन कर इन्वैस्टर मीट में शिक्षा को वस्तु की तरह पेश करने का विरोध किया। प्रदेश विश्वविद्यालय में भी छात्रों ने सुबह के समय मुख्य गेट पर जोरदार प्रदर्शन किया। गौरतलब है कि प्रदेश में आगामी दिनों में इन्वैस्टर मीट होने जा रही है, जिसमें निवेशकों को प्रदेश में शिक्षा, पर्यटन, प्राकृतिक संसाधनोंव स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में निवेशकों को निवेश करने के लिए बुलाया जा रहा है। प्रदेश की मूलभूत संरचना तथा कल्याणकारी राज्य के घटक को दरकिनार करते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों को सरेआम निजीकरण की मुहिम में शामिल किया जा रहा है।
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राज्य अध्यक्ष रमन थार्टा ने बताया कि केंद्र और प्रदेश की सरकार हमेशा से ही अपने चहेते पूंजीपतियों को मुनाफा देने के लिए तत्पर है। वहीं दूसरी ओर छात्रों तथा नौजवानों को लगातार रोजगार से दूर किया जा रहा है। प्रदेश की जयराम सरकार अब तक के अपने कार्यकाल में सभी वर्गो को संतुष्ट करने में नाकाम रही है। प्रदेश में छात्रों, मजदूरों, महिलाओं, बेरोजगारों के लिए कोई ठोस रणनीति तैयार करने में विफल सरकार प्रदेश की जनता को गर्त में धकेलने के लिए निवेशकों को बुलाकर प्रदेश के बचे संसाधन लुटाना चाहती है। शिक्षा के क्षेत्र में वर्तमान की सरकार का दृष्टिकोण बहुत संकीर्ण है। सरकार लगातार सार्वजनिक क्षेत्र के शैक्षणिक संस्थानों के बजट में कटौती कर रही है, जिससे छात्र-अध्यापक रेशो में भारी गिरावट आई है।
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उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र को नए आयाम देने के लिए बने आयोगों की सिफारिशों को केंद्र सरकार ने मात्र एक दस्तावेज की तरह सुरक्षित रखे हैं बजाय इसके कि इनकी सिफारिशों को लागू करे। आज तक भी सकल घरेलू उत्पाद तथा राज्य सरकार के बजट का अपर्याप्त प्रतिशत ही शिक्षा क्षेत्र में खर्च होता है। इससे पता चलता है कि हमारी सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की शिक्षा के लिए कितनी संवेदनशील है। पर्यटन हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी की रीढ़ है लेकिन अकेले पर्यटन क्षेत्र में ही 15 हजार करोड़ रुपए के निवेश का प्रस्ताव इस इन्वेस्टर मीट का हिस्सा है। लगभग 200 करोड़ों का निवेश  इस क्षेत्र में तय माना जा रहा है। छोटे-मझौले पर्यटन क्षेत्र के उद्यमी का पूरा करोबार चौपट करने की फिराक में सरकार केवल चंद पूंजीपरस्त लोगों को फायदा पहुंचाने की फिराक में है।
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उन्होंने कहा कि प्रदेश में शिक्षा क्षेत्र में भी निजी निवेशकों को खुलेआम शिक्षा का बाजारीकरण करने का लाइसेंस देने की मुहिम इसी इन्वेस्टर मीट में सरकार द्वारा लगभग स्वीकृत की जाएगी। प्रदेश में सार्वजनिक शिक्षा के हालात दयनीय स्थिति में है,इनकी स्थिति सुधारने की बजाय सरकार इन्वेस्टर मीट के माध्यम से इन्हें खत्म करने की कवायद तेज कर रही है। धारा-118 को लचीला बनाकर प्रदेश के जल, जंगल, जमीन पर निवेशकों की चील सी नजर हुई है।
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उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता को संसाधन विकसित करने के लिए प्रदान की जाने वाली मूलभूत सुविधाएं सरकार द्वारा आम जनता को मुहैया नहीं करवाई जा रही हैं लेकिन दूसरी ओर निवेशकों के सामने सारे संसाधनों को परोस कर रखा गया है। इससे पता चलता है कि हमारी सरकार जनता विरोधी नीतियों को बनाने में व्यस्त है। छात्रों की समस्याओं से सरकार  कोई सरोकार नहीं है। शिक्षा को महज एक वस्तु बनाकर खुलेआम बेचने की योजना को पंख देने की पूरी कोशिश इस इन्वेस्टर मीट में की जा रही है।
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एसएफआई का कहना है कि एक जिम्मेदार छात्र संगठन होने के नाते शिक्षा क्षेत्र में इस तरह का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि प्रदेश की सरकार समय रहते सार्वजनिक शिक्षा क्षेत्र की मजबूती के लिए ठोस रणनीति तैयार नहीं करती तो आने वाले दिनों में सरकार के खिलाफ प्रदेश व्यापी आंदोलन की शुरूआत की जाएगी और चाहे जो भी परिस्थिति बने उसके लिए सरकार खुद जवाबदेह होगी।
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