गौ प्रेमियों के राज की देखिए शर्मनाक तस्वीर, सड़क किनारे पल-पल मर रहा गौवंश

Edited By Simpy Khanna, Updated: 01 Nov, 2019 03:30 PM

see the shameful picture of the rule of cow lovers

जिला मंडी के उपमंडल करसोग में सड़क किनारे भारतीय गौवंश दम तोड़ने लगा है। सरकार बेशक डंके की चोट पर बेसहारा गौवंश के संरक्षण व संवर्धन का दम भरती नहीं थक रही है लेकिन हकीकत में गौवंश सड़कों पर दम तोड़ता नजर आ रहा है। करसोग में सड़कों पर दनदनाते...

करसोग (यशपाल) : जिला मंडी के उपमंडल करसोग में सड़क किनारे भारतीय गौवंश दम तोड़ने लगा है। सरकार बेशक डंके की चोट पर बेसहारा गौवंश के संरक्षण व संवर्धन का दम भरती नहीं थक रही है लेकिन हकीकत में गौवंश सड़कों पर दम तोड़ता नजर आ रहा है। करसोग में सड़कों पर दनदनाते बेसहारा मवेशियों का आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। सड़कों पर बढ़ते बेसहारा मवेशियों का कुनबा जहां आम जन मानस के लिए परेशानी का सबब बनने लगा है वहीं सड़क दुर्घटनाओं में भी ईजाफा होने से इंकार नहीं किया जा सकता। 

आय दिन बेसहारा मवेशी सड़कों पर पैदल चलने वाले राहगीरों व दोपहिया वाहन चालकों को अपना शिकार बना रहे हैं। बेसहारा मवेशियों की हिंसक प्रवृति का शिकार हो चुके कई लोग अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं। उपमंडल में सर्दियों की दस्तक देने के साथ ही बेसहारा मवेशियों की मौत का आंकड़ा काफी बढ़ सकता है। हालांकि करसोग उपमंडल के कुछ स्थानों पर बेसहारा मवेशियों के शव सड़क किनारे पड़े देखे जा सकते हैं। करसोग में बेसहारा मवेशियों की बढ़ती तादाद पर अंकुश न लग पाने के चलते आने वाले समय में बेसहारा मवेशियों से निपटने की समस्या विकराल रूप धारण कर सकती है। दिन के समय बेसहारा मवेशी सड़कों पर दनदनाते रहते हैं तथा शाम ढ़लते ही मवेशियों के झुंड किसानों के खेतों में खड़ी फसलों पर कहर बरपाते हैं।

सड़कों पर चलते राहगीरों, स्कूली बच्चों व दोपहिया वाहन चालकों को इन मवेशियों के कहर से बचाना सरकार व स्थानीय प्रशासन के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। बेसहारा मवेशियों से पार पाने के लिए करसोग में एक अदद गौसदन को चलाना सरकार व प्रशासन के बूते से बाहर हो रहा है। हालांकि उपमंडल करसोग की पांगणा पांचायत में सरकार ने पंचायत के माध्यम से एक गौसदन तो जरूर बनाया है लेकिन इस गौसदन में बेसहारा मवेशियों को पालने के लिए किसी भी तरह की सुविधा सरकार व प्रशासन प्रदान करने में नाकाम रहा है।

मवेशियों के शव वातावरण में घोल रहे जहर

सड़कों किनारे मृत पड़े मवेशियों के शरीर जहां पर्यावरण में जहर घोल रहे हैं वहीं सड़कों पर सड़ने के कगार पर पहुंच गए मवेशियों के शव पेयजल स्त्रोतों को भी प्रदूषित कर रहे हैं। बारिश के मौसम में बुरी तरह सड़ चुके मवेशियों के शव पेयजल स्त्रोतों के अलावा नदियों व नालों में पहुंच रहे हैं जिसके चलते पेयजल स्त्रोतों पर निर्भर स्थानीय जनता का स्वास्थ्य दांव पर लगा हुआ है। वक्त रहते यदि बेसहारा मवेशियों को गौसदनों में नहीं भेजा गया तो सड़कों पर बेसहारा घूम रहे मवेशियों की समस्या विकराल रूप धारण कर सकती है।

बेसहारा मवेशियों के डर से खेती करना छोड़ रहे किसान

करसोग में बढ़ रही बेसहारा मवेशियों की तादाद से परेशान किसान जहां रात भर अपने खेतों में लगी फसल को मवेशियों के कहर से बचाने के लिए पहरा दे रहे हैं वहीं कुछ किसानों ने  बेसहारा मवेशियों के डर से खेती करना तक छोड़ दिया है। उपमंडल मु यालय के साथ सटे क्षेत्र क्यारगी, लोअर करसोग, ममेल, भंथल, सनारली, कामाक्षा सहित अन्य क्षेत्रों के किसान बेसहारा मवेशियों के डर से खेती बाड़ी करने से मुंह मोड़ने लगे हैं।

प्रशासन महज फौरी राहत देने तक सीमित

हिंसक मवेशियों के हमले से ज मी होने वाले पीड़ितों को प्रशासन महज फौरी राहत देकर अपने कर्तव्य से इतिश्री कर लेता है। लेकिन फौरी राहत की राशि इतनी कम होती है कि पीड़ित इस राशि से अपना पूरा ईलाज नहीं करवा पाता है। हिंसक मवेशियों के हमले का शिकार हुए कुछ लोग जहां ताउम्र के लिए अपनाहिज हो जाते हैं वहीं कुछ लोग मवेशियों के हमले से काल के मुंह में भी समा चुके हैं।

हिंसक मवेशियों पर प्रशासन बिठा चुका है पहरा

करसोग घाटी के आवारा मवेशियों की हिंसक प्रवृति से जहां जनता परेशान है वहीं स्कूली छात्र इन मवेशियों के डर से स्कूल जाने में भी कतराने लगे हैं। कुछ समय पूर्व स्थानीय प्रशासन ने पशु चिकित्सकों की मदद से कुछ हिंसक मवेशियों को काबू भी किया लेकिन इससे भी समस्या का समाधान नहीं हो पाया। हिंसक हुए मवेशियों पर प्रशासन पहरा भी ब्ठिा चुका है लेकिन प्रशासन का यह प्रयास भी जनता को राहत पहुचाने में नाकाम रहा है। स्थानीय जनता ने सरकार से मांग की है कि बेसहारा पशुओं के कहर से निजात दिलाने के लिए जल्द ही कोई ठोस नीति बनाई जाए ताकि जनता को राहत मिल सके।

2 वर्षो से सेरी में निर्माणाधीन गौसदन नहीं हो पाया तैयार

उपमंडल करसोग की सेरी पंचायत में प्रशासन ने गौसदन निर्माण करने में दिलचस्पी तो जरूर दिखाई लेकिन तकरीबन 2 वर्षो में महज 35 फीट लंबा व 35 फीट चौड़ा गौसदन बनाने में प्रशासन के पसीने छूट गए। हालांकि  इस गौसदन के निर्माण का जिम्मा स्थानीय पंचायत को सौंपा गया है लेकिन पंचायत की सुस्त कार्यप्रणाली के चलते गौसदन अभी तक मूर्त रूप नहीं ले पाया है। सेरी पंचायत प्रधान कृष्णा नंद के मुताबिक अभी तक गौसदन निर्माण में तकरीबन 9 लाख रुपए खर्च किए जा चुके  हैं तथा अभी तकरीबन 2 लाख रुपए और खर्च किए जाने शेष हैं।

महीने के भीतर तैयार हो जाएगा गौसदन: बी.डी.ओ.

करसोग के खण्ड विकास अधिकारी (बी.डी.ओ.) राजेंद्र टेजटा ने बताया कि सेरी में निर्माणाधीन गौसदन का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है तथा गौसदन में फर्श का काम होना बाकी है। आगामी एक माह के भीतर गौसदन का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा तथा निर्माण कार्य पूरा होते ही सफलतापूर्वक इसमें गौसदन चलाया जाएगा।

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