धारा-118 मामला: राज्य चुनाव आयुक्त पी. मित्रा से 6 घंटे पूछताछ, सभी आरोप नकारे

Edited By Ekta, Updated: 18 Sep, 2018 09:16 AM

section 118 inquiries from state election commissioner p mitra for 6 hours

धारा-118 से जुड़े 8 साल पुराने केस में विजीलैंस ने सोमवार को राज्य चुनाव आयुक्त  पी. मित्रा से पूछताछ की। जांच प्रक्रिया में शामिल होने के लिए दिए गए नोटिस के तहत पूर्व मुुख्य सचिव मित्रा सुबह करीब 10:45 खलीनी स्थित स्टेट विजीलैंस के मुख्यालय...

शिमला (राक्टा): धारा-118 से जुड़े 8 साल पुराने केस में विजीलैंस ने सोमवार को राज्य चुनाव आयुक्त  पी. मित्रा से पूछताछ की। जांच प्रक्रिया में शामिल होने के लिए दिए गए नोटिस के तहत पूर्व मुुख्य सचिव मित्रा सुबह करीब 10:45 खलीनी स्थित स्टेट विजीलैंस के मुख्यालय पहुंचे। सूचना के अनुसार जांच दायरे में चल रहे लोअर बाजार निवासी विवेक डोगरा और पंचकूला निवासी विनोद कुमार भी सोमवार को जांच टीम के समक्ष पेश हुए। प्रात: 11 बजे शुरू हुई पूछताछ की प्रक्रिया देर शाम तक चली। पूछताछ की यह प्रक्रिया ए.एस.पी. रैंक के अधिकारी ने अमल में लाई। प्रश्नावली के आधार पर जांच टीम ने सबसे पहले पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी मित्रा से पूछताछ की। 

सूत्रों के अनुसार उन्होंने जांच में पूरा सहयोग नहीं किया, ऐसे में उन्हें द्वारा पूछताछ के लिए भी तलब किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार इस दौरान मित्रा ने उन पर लगाए जा रहे कथित आरोपों को निराधार करार दिया है। सूत्रों के अनुसार उन्होंने स्पष्ट किया कि धारा-118 के तहत बाहरी लोगों को भूमि खरीदने के लिए एक लंबी प्रक्रिया है तथा सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद सरकार के स्तर पर ही अंतिम निर्णय लिया जाता है। विजीलैंस ने मामले की छानबीन में अब तक सामने आए तथ्यों के आधार पर उनसे करीब 6 घंटे तक लंबी पूछताछ की। इसके साथ ही दोनों कारोबारियों के भी बयान दर्ज किए। जांच एजैंसी धारा-118 के तहत बाहरी लोगों को यहां भूमि खरीदने की दी गई विभिन्न अनुमतियों से जुड़ा रिकॉर्ड खंगाल रही है। 

आरोप है कि कई मामलों में आपसी मिलीभगत कर धारा-118 की अनुमति दिलवाने के लिए कथित रूप से घूंस ली जाती थी, ऐसे में विजीलैंस करीब 350 से अधिक अनुमतियों से जुड़ी फाइलें खंगालने में जुटी है। राज्य चुनाव आयुक्त  मित्रा उस समय राजस्व विभाग के प्रधान सचिव थे। धारा-118 की मंजूरी दिलवाने की एवज में घूंस लेने से जुड़े इस मामले में राजस्व विभाग के कई अधिकारी भी विजीलैंस के राडार पर हैं। इनमें कुछ सेवानिवृत्त अधिकारी भी शामिल हैं। विजीलैंस ने इस केस में करीब 7 साल पहले उक्त  2 कारोबारियों को ही नामजद किया था। भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की छानबीन में कोताही बरतने वाले तत्कालीन अधिकारियों पर भी जांच की आंच आ सकती है।

जांच एजैंसी के पास फोन रिकार्डिंग अहम साक्ष्य
सूत्रों के अनुसार विजीलैंस के पास जो फोन रिकार्डिंग है, उसमें धारा-118 के तहत भूमि खरीदने की मंजूरी के लिए लाखों रुपए के लेन-देन का जिक्र है। संबंधित रिकार्डिंग को आधार बनाकर ही जांच एजैंसी ने पूर्व में 2 कारोबारियों को एफ.आई.आर. में नामजद किया था। इसके साथ ही सामने आया था कि 2 आरोपी और कसौली में रिजॉर्ट बनाने वाला एक कारोबारी आपस में लगातार संपर्क में थे।

कार से जब बरामद किए 5 लाख
जांच एजैंसी को पूर्व में सूचना मिली थी कि एक आरोपी ने जमीनी सौदा करवाने के लिए कथित रूप से पैसे लिए हैं। इस पर विजीलैंस ने अपना जाल बिछाया और शिमला के समीप एक कार की ली गई तलाशी के दौरान 5 लाख रुपए की राशि बरामद की गई। कार में एफ.आई.आर. में नामजद एक व्यक्ति  के साथ एक अन्य कारोबारी सवार था। आरोप है कि संबंधित राशि लेन-देन से जुड़ी हुई थी।

कुछ सरकारी गवाह बनने को तैयार
इस मामले में अब तक 15 से अधिक लोगों से पूछताछ किए जाने की सूचना है। मामले से जुड़े कुछ लोग सरकारी गवाह बनने का भी तैयार हैं, ऐसे में पूछताछ की प्रक्रिया पूरी होते ही जांच एजैंसी आरोपियों के नाम एफ.आई.आर. में नामजद करेंगी ताकि उस आधार पर उनके लाई डिटैक्टर टैस्ट और वॉयस सैंपल लेने की प्रक्रिया को भी आगे बढ़ाया जा सके।

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