SDM ने जनसहयोग से बनाया बाल विद्या कुंज, 80 बच्चे प्राप्त कर रहे शिक्षा

Edited By Vijay, Updated: 09 Sep, 2018 10:06 PM

sdm built bal vidya kunj with public support

जनसहयोग से बड़े से बड़ा और मुश्किल से मुश्किल कार्य भी आसानी से हो जाता है, लेकिन उसकी अच्छी शुरूआत करने की जरूरत होती है। वैसे तो उपमंडल नालागढ़ यानी औद्योगिक क्षेत्र बी.बी.एन. ने देश-विदेश में अपनी एक विशेष छाप छोड़ रखी है, लेकिन उपमंडल नालागढ़...

बी.बी.एन.: जनसहयोग से बड़े से बड़ा और मुश्किल से मुश्किल कार्य भी आसानी से हो जाता है, लेकिन उसकी अच्छी शुरूआत करने की जरूरत होती है। वैसे तो उपमंडल नालागढ़ यानी औद्योगिक क्षेत्र बी.बी.एन. ने देश-विदेश में अपनी एक विशेष छाप छोड़ रखी है, लेकिन उपमंडल नालागढ़ में जनसहयोग से हुए कार्य भी एक बहुत बड़ी मिसाल हैं। मानो तो एस.डी.एम. नालागढ़ की कुर्सी क्षेत्र के लोगों के लिए बहुत लक्की साबित हो रही है, अगर नालागढ़ के 4 पूर्व एस.डी.एम. आई.ए.एस. डा. यूनुस, आई.ए.एस. ललित जैन, आई.ए.एस. हरिकेश मीणा व आई.ए.एस. आशुतोष गर्ग और वर्तमान एस.डी.एम. एच.ए.एस. प्रशांत देष्टा की बात की जाए तो उनकी इस क्षेत्र के लिए एक से बढ़कर एक उपलब्धियां हैं।

ऐतिहासिक तालाब, कालेज मैदान का निर्माण व कोचिंग सैंटर बने मिसाल
नालागढ़ में ऐतिहासिक तालाब का निर्माण, कालेज मैदान का निर्माण व कोचिंग सैंटर आदि जनसहयोग के वे कार्य हैं जोकि एक मिसाल बने हैं। जब अधिकारी का तबादला हो जाता है तो अक्सर लोगों का उस अधिकारी से संपर्क टूट जाता है लेकिन जनसहयोग की मिसाल कायम करने वाले अधिकारियों को नालागढ़ की जनता कभी भूल नहीं सकती और जनता आज भी ऐसे अधिकारियों के वापस सोलन जिला में आने का इंतजार कर रही है। जब ये अधिकारी नालागढ़ से गुजरते भी हैं तो लोग उनका स्वागत करते हैं।

ब्वायज स्कूल के पुराने भवन में खोला बाल विद्या कुंज
अब बात करें नालागढ़ के एस.डी.एम. एच.ए.एस. प्रशांत देष्टा की तो यह जनाब ईंट-भट्ठों का निरीक्षण करने गए तो उन्होंने पाया कि जिन बच्चों को स्कूल में शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए, वे बच्चे तो अपने माता-पिता के साथ कच्ची ईंटें बनाने का काम कर रहे हैं। इसके बाद उन्होंने क्षेत्र की झुग्गी-झोंपडिय़ों का दौरा किया और देखा कि बहुत से बच्चे शिक्षा से वंचित रह रहे हंै, जिसके बाद उन्होंने इन बच्चों का जीवन उज्ज्वल बनाने के लिए जनसहयोग से एक स्कूल खोलने की योजना बनाई और कुछ समाजसेवी लोगों से बैठक कर यह निर्णय लिया कि नालागढ़ में ब्वायज स्कूल के पुराने भवन में नालागढ़ एजुकेशन सोसायटी के तहत बाल विद्या कुंज खोला जाए।

3 अध्यापक दे रहे हैं शिक्षा
बाल विद्या कुंज में चंद दिनों में करीब 80 बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए आने लगे, जिनको 3 अध्यापक शिक्षा दे रहे हैं। जो बच्चे स्कूलों में नहीं जाते, उनको इस स्कूल में लाया जा रहा है और स्कूल में प्राथमिक शिक्षा के साथ-साथ देश की संस्कृति, स्वास्थ्य व स्वच्छता की भी शिक्षा दी जा रही है। स्कूलों में दाखिला शुरू होने के बाद इन बच्चों को नजदीक के सरकारी व निजी स्कूलों में दाखिल करवा जाएगा। बाल विद्या कुंज में बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩे के बाद स्कूल में पहुंचाया जाएगा। बाल विद्या कुंज इस स्कूल में पढऩे वाले और उसके बाद सरकारी व निजी स्कूलों में दाखिल होने वाले सभी बच्चों की देखरेख व सहायता करेगा।

स्कूल में मिले रहे किताबें, बैग, वर्दी व ट्रैक सूट
बाल विद्या कुंज में ज्यादातर प्रवासी लोगों के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इनको आने-जाने के लिए गाडिय़ों की सुविधा है। यही नहीं, स्कूल में किताबें, बैग, वर्दी व ट्रैक सूट भी बच्चों को दिया जा रहा है। स्कूल में जो बच्चे नंगे पांव व फटे कपड़ों में आते हैं, उन्हें घर से जूते व कपड़े लाने के लिए नहीं कहा जाता बल्कि स्कूल में ही कपड़े व जूते दिए जाते हैं। बच्चों के बाल काटने तक की सुविधा भी बाल विद्या कुंज ही प्रदान कर रहा है। यही नहीं, बच्चों को टुथपेस्ट, साबुन व तौलिया भी दिया जाएगा। दोपहर के समय खानपान की भी व्यवस्था की जाती है। कई लोग तो अपना जन्मदिन भी इन बच्चों के साथ मनाने लग गए हैं। बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए स्मार्ट क्लास रूम बनाए जा रहे हैं। एस.डी.एम. स्वयं प्रतिदिन स्कूल में जाकर बच्चों से मिलते हैं और उनसे यह जानते हैं कि आज क्या सीखा।

एस.डी.एम. प्रशांत देष्टा ने पेश की मिसाल
एस.डी.एम. प्रशांत देष्टा ने जनवरी, 2018 में नालागढ़ में बतौर एस.डी.एम. कार्यभार संभाला, जिसके बाद उन्होंने युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए मैराथन व खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया और खिलियां में खेल मैदान का निर्माण करवाया और अब नालागढ़ में बाल विद्या कुंज की स्थापना की, जिसमें उनकी धर्मपत्नी शालिनी देष्टा भी पूरा सहयोग दे रही हैं। इसी तरह अन्य गांवों में भी खेल मैदान बनाने की योजना है। उन्होंने कहा कि जनसहयोग से बड़े से बड़ा व कठिन से कठिन कार्य भी होता है, लेकिन उसकी शुरूआत सही होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि लोगों को जनसहयोग से कार्य करने चाहिए और इस तरह के कार्यों में सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा सबसे बड़ा दान है।

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